खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (MMDR), 1957 में संशोधन

खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (MMDR), 1957 में संशोधन

हाल ही में सरकार ने ‘खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम (MMDR), 1957’ में संशोधन का प्रस्ताव किया है।

MMDR अधिनियम कोयला और लिग्नाइट सहित देश में खानों एवं खनिजों को विनियमित करने वाला प्रमुख कानून है।

वर्ष 2015, वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में इस अधिनियम में संशोधन किए गए थे।

Amendment to the Mines and Minerals (Development and Regulation) Act (MMDR), 1957

इन संशोधनों के निम्नलिखित उद्देश्य रहे हैं:

खनिज अन्वेषण के क्षेत्र को बढ़ाना,खनिज उत्पादन को बढ़ावा देना और राज्यों के लिए अधिक राजस्व जुटाना।

प्रस्तावित संशोधनों की मुख्य विशेषताएं

  • नए भागD का निर्माण (महत्वपूर्ण और सामरिक खनिज): MMDR अधिनियम की पहली अनुसूची में एक नया भाग D (महत्वपूर्ण और सामरिक खनिज) जोड़ा जाएगा।
  • पहली अनुसूची के भाग-B से खनिजों के 12 समूह में से 8 को हटाकर भाग-D में शामिल जाएगा। इनमें बेरिल, लिथियम युक्त खनिज, दुर्लभ मृदा खनिज आदि शामिल।
  • निजीकरणः केंद्र सरकार को इन खनिजों के खनन के लिए सार्वजनिक और निजी, दोनों क्षेत्र की कंपनियों को रियायतें देने का अधिकार होगा।

संशोधन से जुड़ी चिंताएं

  • ये संशोधन असंवैधानिक हैं, क्योंकि ये राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। खनिज को संविधान की सूची-2 (राज्य सूची) की प्रविष्टि-23 में शामिल किया गया है। साथ ही, इनसे अनुच्छेद-246(3) के तहत भी राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन होता है।
  • अनुच्छेद 246(3): राज्य सूची के विषयों पर राज्य के विधानमंडल को कानून बनाने का अनन्य अधिकार होगा।
  • प्रस्तावित संशोधनों से कुछ निजी कंपनियों द्वारा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण खनिजों (जैसे यूरेनियम) के अनुचित प्रबंधन की आशंका है। यह राष्ट्रीय हित के खिलाफ है ।

संशोधन का महत्व

  • कुछ प्रमुख खनिजों के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, देश को लाभकारी बैटरी आपूर्ति श्रृंखला में प्रतिस्पर्धा करने के लिए बेहतर स्थिति में लाएंगे।
  • देश को हरित प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।

स्रोत: द हिंदू

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