विश्व व्यापार संगठन (WTO) में खाद्य सब्सिडी कार्यक्रम
हाल ही में भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में खाद्य सब्सिडी कार्यक्रम पर सामूहिक परामर्श का विरोध किया है।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील, थाईलैंड आदि सहित विकसित और विकासशील देशों के 10 सदस्यीय समूह ने ‘द्विपक्षीय प्रारूप’ की बजाय ‘सामूहिक परामर्श प्रारूप का प्रस्ताव किया था।
- इस समूह में विकसित और विकासशील देशों के साथ-साथ खाद्य आयातक एवं खाद्य निर्यातक देश भी शामिल हैं। बाली मंत्रिस्तरीय बैठक (2013) के तहत परामर्श के लिए ऐसे किसी भी प्रारूप का प्रावधान नहीं किया गया था।
- WTO नियमों के अनुसार, व्यापार को विकृत करने वाले घरेलू समर्थन को डी-मिनिमिस (न्यूनतम स्तर) होना चाहिए।
- घरेलू समर्थन को समर्थन की समग्र माप या ‘AMS’ कहा जाता है। इसे कभी-कभी एम्बर बॉक्स समर्थन भी कहा जाता है।
- डी-मिनिमिस घरेलू समर्थन की वह न्यूनतम मात्रा है, जिसकी अनुमति होती है, भले ही यह व्यापार को विकृत करे।
- कुछ प्रकार के सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग कार्यक्रमों (PSHP) को व्यापार को विकृत करने वाला माना जाता है। जैसे- सरकार द्वारा निर्धारित कीमतों पर किसानों से अनाज की खरीद। इसे समर्थन मूल्य या प्रशासित मूल्य के रूप में जाना जाता है।
- भारत में इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कहा जाता है। PSHP का उपयोग खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य से जरूरतमंद लोगों के लिए अनाज खरीदने, भंडारण करने और वितरित करने हेतु किया जाता है।
- इस तरह की समर्थन प्रणाली से निपटने के लिए विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों ने बाली मंत्रिस्तरीय बैठक में “पीस क्लॉज” (शांति खंड) का प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। इस प्रस्ताव के अनुसार किसी भी देश को कानूनी रूप से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के संचालन से प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा, भले ही दी जा रही सब्सिडी, डी-मिनिमिस का उल्लंघन करती हो।
- ‘पीस क्लॉज’ एक प्रकार का अंतरिम समाधान है, जब तक कि कोई स्थायी समाधान नहीं मिल जाता।
अन्य प्रमुख –
- ग्रीन बॉक्स : ग्रीन बॉक्स ऐसी सब्सिडी जो व्यापार को विकृत नहीं करती है, या न्यूनतम विकृति पैदा करती है इस सब्सिडी की कोई सीमा नहीं है।
- एम्बर बॉक्स : यह सब्सिडी की व्यापक रेंज है। यह कृषि उत्पादन के 5% (विकासशील देशों के लिए 10%) तक सीमित है।
- ब्लू बॉक्स : ब्लू बॉक्स सब्सिडी की व्यापक रेंज की अनुमति है, लेकिन इसे इस तरह डिज़ाइन किया जाना चाहिए कि वह कम व्यापार विकृति पैदा करे। सब्सिडी की कोई सीमा नहीं।
स्रोत – द हिन्दू