विश्व व्यापार संगठन (WTO) खाद्यान्न सब्सिडी
हाल ही में भारत ने घरेलू खाद्यान्न की खरीद के लिए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में अपनी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली का बचाव किया है।
अमेरिका और कनाडा सहित बड़े खाद्यान्न निर्यातकों ने भारत के पब्लिक स्टॉक होल्डिंग (PSH) कार्यक्रम को WTO में चुनौती दी थी।
यह चुनौती इस आधार पर दी गई थी कि भारत इस कार्यक्रम में (विशेष रूप से चावल के लिए) अत्यधिक सब्सिडी प्रदान करता है।
भारत बाली ‘शांति खंड (Peace Clause ) का उपयोग करने वाला पहला देश था ।
इसके तहत किसी भी देश को कानूनी रूप से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के संचालन से प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा, भले ही सब्सिडी WTO के कृषि पर समझौते (AoA) में निर्दिष्ट सीमा का उल्लंघन करती हो ।
भारत ने WTO को सूचित किया है कि 2019-20 में उसके चावल उत्पादन का मूल्य 46.07 बिलियन डॉलर था, जबकि उसने अनुमत 10 प्रतिशत के विपरीत 6.31 बिलियन डॉलर या लगभग 13.7 प्रतिशत की सब्सिडी दी थी।
एग्रीमेंट ऑन एग्रीकल्चर (AoA) और पीस क्लॉज
- बाजार पहुँच शर्तों के तहत विकसित और विकासशील, दोनों तरह के देशों को सभी गैर – प्रशुल्क बाधाओं को प्रशुल्क बाधाओं में बदलना था।
- घरेलू समर्थन में सब्सिडी को अलग-अलग रंग के ‘बॉक्स’ में वर्गीकृत किया गया है। यह वर्गीकरण उत्पादन और व्यापार पर सब्सिडी के प्रभावों पर आधारित है।
- निर्यात सब्सिडी और अन्य विधियाँ निर्यात को कृत्रिम रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
- AoA में एक उचित प्रतिबंध (due restraint) या ‘पीस क्लॉज़’ शामिल है। यह कृषि उत्पादों के संबंध में सब्सिडी से संबंधित WTO के अन्य समझौतों के इस्तेमाल को विनियमित करता है ।
AoA के 3 स्तंभ:
- ग्रीन बॉक्स: ऐसी सब्सिडी जो व्यापार को विकृत नहीं करती है, या न्यूनतम् विकृति पैदा करती है। इस सब्सिडी की कोई सीमा नहीं है।
- एम्बर बॉक्स: यह सब्सिडी की व्यापक रेंज है। यह कृषि उत्पादन के 5% (विकासशील देशों के लिए 10%) तक सीमित है।
- ब्लू बॉक्स: सब्सिडी की व्यापक रेंज की अनुमति है, लेकिन इसे इस तरह डिज़ाइन किया जाना चाहिए कि वह कम् व्यापार विकृति पैदा करे। सब्सिड़ी की कोई सीमा नहीं है।
स्रोत – द हिन्दू