क्षय रोग-रोधी खुराक ‘BPaL’ को वैश्विक मंजूरी मिली
हाल ही में किये गए परीक्षण के ‘सकारात्मक रहने पर लघु क्षय रोग-रोधी खुराक ‘BPaL’ को वैश्विक मंजूरी मिली है ।
BPaL नामक छह महीने के एक लघु अवधि के उपचार ने क्षय रोग (TB) के रोगियों में अनुकूल परिणाम दिखाए हैं।
BPaL6–महीने की खुराक वाला उपचार है। यह पूर्ण रूप से मुख द्वारा ली जाने वाली दवा है और तीन-दवाओं की खुराक है।
इसका उपयोग क्षय रोग के अत्यधिक दवा-प्रतिरोधी रूपों से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए किया जाता है।
BPaL तीन नई एंटीबायोटिक दवाओं का एक संयोजन है। ये तीन दवाइयां हैं: बेडाक्विलाइन, प्रीटोमेनिड और लाइनज़ोलिड।
टीबी एलायंस की BPaL दवा ने क्षय रोग के उपचार के समय को 18 महीने से घटाकर 6 महीने कर दिया है। साथ ही, रिपोर्ट की गई सफलता दर 90% है। यह दर क्षय रोग के उन्मूलन में महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है। (टीबी एलायंस एक गैर-लाभकारी संगठन है।)
दवा-प्रतिरोधी क्षय रोग तब होता है, जब बैक्टीरिया क्षय रोग के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेता है।
दवा प्रतिरोधी क्षय रोग के प्रकार-
- एकल-प्रतिरोध (Mono-resistance): केवल प्रथम-पंक्ति की क्षय रोग-रोधी दवा के प्रति प्रतिरोध।
- बहु-प्रतिरोध (Poly-resistance): आइसोनियाज़िड और रिफैम्पिसिन दवाओं को छोड़कर एक से अधिक प्रथम-पंक्ति की क्षय रोग-रोधी दवाओं का प्रतिरोध ।
- मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंस (MDR): इसमें कम से कम आइसोनियाजिड और रिफैम्पिसिन, दोनों दवाओं के प्रति प्रतिरोध विकसित हो जाता है।
- विस्तारित दवा प्रतिरोध XDR): MDR के अलावा, किसी भी फ्लोरोक्विनोलोन के खिलाफ प्रतिरोध साथ ही, दूसरी पंक्ति की तीन इंजेक्शन योग्य दवाओं (कैप्रोमाइसिन, केनामाइसिन और एमिकासिन) में से कम से कम एक के खिलाफ प्रतिरोध ।
- रिफैम्पिसिन प्रतिरोध (RR): एकल-प्रतिरोध, बहु-प्रतिरोध, MDR या XDR के रूप में रिफैम्पिसिन दवा के प्रति प्रतिरोध।
क्षय रोग (TB)के बारे में
- क्षय रोग बैसिलस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है, जो प्रायः फेफड़ों को सर्वाधिक प्रभावित करता है। यह अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।
- क्षय रोग के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली अधिकांश आम दवाओं में आइसोनियाज़िड, रिफैम्पिन, एथेमब्युटोल, पायराजीनामाईड आदि शामिल हैं।
- वर्तमान में BCG, क्षय रोग की रोकथाम के लिए उपलब्ध एकमात्र लाइसेंस प्राप्त टीका है।
स्रोत –द हिन्दू