क्वाड सहयोगियों को पीएम मोदी द्वारा दिए गए उपहारों का सांस्कृतिक महत्व

क्वाड सहयोगियों को पीएम मोदी द्वारा दिए गए उपहारों का सांस्कृतिक महत्व

हाल ही में, टोक्यो में आयोजित ‘क्वाड सम्मेलन’(Quad Summit) के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कला के रूपों को प्रदर्शित करने के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के प्रमुखों को उपहार दिए हैं।

दिए गए उपहार और इनका सांस्कृतिक महत्व:

रोगन चित्रकला

  • क्वाड मीटिंग के दौरान भारतीय प्रधान मंत्री ने जापान के प्रधानमंत्री को एक ‘सफेद रोगन’ भेंट किया।
  • रोगन (Rogan) वस्तुतः वस्त्र पर की जाने वाली चित्रकला का एक रूप है। इसे चार शताब्दियों से अधिक पुराना माना जाता है। वर्तमान में, यह गुजरात के कच्छ के निरोना में केवल एक ही परिवार द्वारा संरक्षित है।
  • रोगन (Rogan) एक फारसी शब्द है। इसका अर्थ है वार्निश या तेल। इस कला में उबले हुए तेल और वनस्पति रंगों से बने पेंट का उपयोग किया जाता है।
  • इस कला में अरंडी के तेल से बने एक विशेष पेस्ट का उपयोग किया जाता है। इसमें सामान्यतः ज्यामितीय रूपांकनों को प्राथमिकता दी जाती है।

सांझी कला रूप

  • अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को उपहार में प्रधानमंत्री ने मथुरा के ‘ठकुरानी घाट’ की थीम पर आधारित एक जटिल ‘सांझी फलक’(Sanjhi Art Panel) को उपहार स्वरूप प्रदान किया।
  • विदित हो कि ठकुरानी घाट गोकुल में यमुना की पवित्र नदी के तट पर सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक है।
  • ‘सांझी’ कागज पर हाथ से डिजाइन करने की कला है और इस कला रूप की उत्पत्ति ‘कृष्ण पंथ’ से हुई है।
  • इस कला रूप में देवता के जीवन की घटनाओं पर आधारित ‘स्टेंसिल’ बनाए जाते है और इन स्टेंसिल को कैंची या ब्लेड का उपयोग करके हाथ से काटा जाता है और नाजुक सांझी को प्रायः कागज की पतली शीट के साथ रखा जाता है।
  • ‘सांझी’ को 15वीं और 16वीं शताब्दी में वैष्णव मंदिरों द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था और ब्राह्मण पुजारियों द्वारा इसका अभ्यास किया जाता था।

गोंड कला पेंटिंग:

  • ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज को प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश मूल की एक ‘गोंड कला पेंटिंग’ भेंट की।
  • गोंड पेंटिंग सबसे प्रशंसित आदिवासी कला रूपों में से एक है। डॉट्स और लाइनों द्वारा बनाई गई ये पेंटिंग गोंडों की दीवारों और फर्शों पर सचित्र कला का एक हिस्सा रही हैं।
  • यह स्थानीय रूप से उपलब्ध प्राकृतिक रंगों और सामग्री जैसे लकड़ी का कोयला, रंगीन मिट्टी, पौधे का रस, पत्ते, गाय का गोबर और चूना पत्थर पाउडर के साथ हर घर के निर्माण और पुनर्निर्माण में किया जाता है।
  • मध्य प्रदेश में ‘गोंड कला’ का कार्य गोंड समुदाय द्वारा किया जाता है।
  • इस कला की उत्पत्ति का स्रोत ‘जांगढ़ श्याम’ की चित्रकला में मिलता है, जिन्होंने 1970 और 80 के दशक में पाटनगढ़ गांव में घरों की दीवारों पर, जनजातीय मौखिक मिथकों और किंवदंतियों को बड़े पैमाने पर चित्रित करना शुरू किया था।

स्रोत द हिंदू

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