द स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेस रिपोर्ट 2021
हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization: WMO) ने ‘द स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेस रिपोर्ट 2021’ जारी की है।
यह वार्षिक रिपोर्ट, जलवायु-संवेदनशील सामाजिक आर्थिक क्षेत्रों में अनुकूलन संबंधी आवश्यकताओं का आकलन करने के लिए जलवायु सेवाओं की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करती है। वर्ष 2021 का संस्करण जल पर केंद्रित है।
प्रमुख निष्कर्षः
- वर्ष 2018 में 6 बिलियन लोगों की प्रति वर्ष कम से कम एक माह के लिए जल तक अपर्याप्त पहुंच थी। वर्ष 2050 तक इस प्रकार के जल संकट का सामना करने वाले लोगों की संख्या बढ़कर पांच बिलियन से अधिक होने की आशंका है।
- वर्ष 2000 से, बाढ़ से संबंधित आपदाओं में 134% की वृद्धि हुई है। सूखे की अवधि में भी विगत दो दशकों की तुलना में 29% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
- WMO के उन 34% सदस्य देशों के पास जिन्होंने डेटा उपलब्ध करवाया है, तथा 54% अन्य सदस्य देशों के पास नदीकृत बाढ़ और सूखा संबंधी समग्र पूर्वानुमान एवं चेतावनी प्रणाली अनुपस्थित या अपर्याप्त है।
अनुशंसाएं: क्लाइमेट सर्विसेस रिपोर्ट
- जल संकट को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के समाधान के रूप में एकीकृत संसाधन जल प्रबंधन(Integrated Resources Water Management) में निवेश करना चाहिए।
- अल्प विकसित देशों में सूखे और बाढ़ की समग्र पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश करना चाहिए। इसके साथ ही, अफ्रीका में सूखे की चेतावनी और एशिया में बाढ़ की चेतावनी हेतु भी निवेश किया जाना चाहिए।
- एकीकृत जल और जलवायु आकलन हेतु नीतिगत विकास को बढ़ावा देने के लिए जल एवं जलवायु गठबंधन Water and Climate Coalition) में शामिल होना चाहिए।
- जलवायु सेवाओं के सह-विकास और संचालन के लिए राष्ट्रीय स्तर के हितधारकों के मध्य विमर्श-प्रक्रिया में सुधार करना चाहिए।
स्रोत – द हिन्दू