हाल ही में आयोजित COP 26 सम्मेलन के दौरान छह शून्य-उत्सर्जन पोत परिवहन मार्गों की स्थापना के लिए ‘क्लाइडबैंक घोषणा’ (Clydebank Declaration) अपनाई गई।
ग्लास्गो में आयोजित हुए COP-26 जलवायु शिखर सम्मेलन में क्लाइडबैंक घोषणा (Clydebank Declaration) को अपनाया गया था। ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 19 देशों के एक गठबंधन ने इस घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
यह घोषणा दो या दो से अधिक पत्तनों के मध्य ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर अर्थात् शून्य-उत्सर्जन समुद्री मार्गों की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है। इससे वैश्विक समुद्री उद्योग के वि-कार्बनीकरण को गति प्रदान करने में मदद मिलेगी।
इसके लिए शून्य उत्सर्जन ईंधन की विकासशील आपूर्ति, वि-कार्बनीकरण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा और विनियामक फ्रेमवर्क की आवश्यकता होगी।
भारत ने अभी तक इस घोषणा पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
विश्व व्यापार की कुल मात्रा का लगभग 80% हिस्सा, नौ-परिवहन के माध्यम से संपन्न होता है। यह वैश्विक ग्रीनहाउस (GHG) उत्सर्जन के लगभग 3% के लिए प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) ने जहाजों से कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को वर्ष 2008 के स्तर से वर्ष 2050 तक 50% तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
हालांकि, यह लक्ष्य वर्ष 2015 के जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अनुरूप नहीं है।
पोत परिवहन उद्योग के वि-कार्बनीकरण की दिशा में विश्व स्तर पर किए गए अन्य उपायों में शामिल है-
- जहाजों से प्रदूषण की रोकथाम के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय (MARPOL) मुख्य अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय है। इसमें परिचालन संबंधी या आकस्मिक कारणों से जहाजों द्वारा समुद्री पर्यावरण के प्रदूषण की रोकथाम शामिल है।
- IMO ने एक संशोधन स्वीकार किया है, जो जहाजों के इंधन तेल में सल्फर की मात्रा में कमी का समर्थन करता है ।
स्रोत –द हिन्दू