क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार (CCHF)
हाल ही में यूरोप में हीटवेव और वनाग्नि का प्रकोप बढ़ रहा है, जिससे यहाँ पर गर्म जलवायु से जुड़े वायरस के प्रसार के विषय में चिंताएँ बढ़ रही हैं।
इसी वजह से टिक्स (Ticks) से फैलने वाले संक्रमण क्रीमियन-कांगो हीमोरेजिक फीवर (CCHF) को लेकर यूरोप, अफ्रीका और मध्य पूर्व में अलर्ट जारी किया गया है।
क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार (CCHF)
क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार (सीसीएचएफ) एक वायरल हीमोरेजिक फीवर है जो टिक्स और विषैले जानवरों के ऊतकों के नैरोवायरस के संपर्क से फैलता है।
इस बीमारी का पता पहली बार 1944 में क्रीमिया प्रायद्वीप (काला सागर के पास) में सैनिकों के बीच लगाया गया था।
बाद में 1969 में, कांगो बेसिन में इसी रोगज़नक़ की पहचान की गई थी। इस प्रकार, इस बीमारी को क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार का नाम दिया गया था।
प्रसार:
मनुष्यों में यह संक्रमित टिक्स या जानवरों के रक्त के संपर्क से होता है। मनुष्य से मनुष्य में संचरण संक्रामक रक्त या शरीर के तरल पदार्थ, जैसे पसीना और लार के संपर्क से होता है।
लक्षण:
लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, चक्कर आना, सिरदर्द, पेट में दर्द और मनोस्थिति में बदलाव शामिल हैं।
हालाँकि कोई टीका या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है तथा उपचार मुख्य रूप से लक्षण प्रबंधन पर केंद्रित है।
एंटीवायरल दवा रिबाविरिन का CCHF संक्रमण के उपचार में संभावित लाभ देखा गया है। इलाज
CCHF की रोकथाम और नियंत्रण:
किलनी-पशु-किलनी चक्र तथा व्यापक टिक वैक्टर के कारण पशुओं में CCHF को नियंत्रित करना मुश्किल है।
यह सुनिश्चित करने के लिये उपाय किये जा सकते हैं कि पशु वध से पहले एक संगरोधक स्टेशन में 14 दिनों तक पशु को किलनी-मुक्त(tick-free) रखा जाए।
मनुष्यों या जानवरों में वायरस के लिए कोई टीका नहीं है , और उपचार में आम तौर पर लक्षणों का प्रबंधन शामिल होता है।
लोगों में संक्रमण को कम करने का एकमात्र तरीका जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता बढ़ाना तथा उन उपायों के बारे में शिक्षित करना है जो वायरस के जोखिम को कम करने के लिये उठाए जा सकते हैं।
स्पष्ट लाभ के साथ CCHF संक्रमण के इलाज के लिए एंटीवायरल दवा रिबाविरिन का उपयोग किया गया है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस