SEBI ने क्रिप्टो विनियमन पर चिंता प्रकट
हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने भी, क्रिप्टो विनियमन पर चिंता प्रकट की है।
SEBI ने वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति के समक्ष क्रिप्टोकरेंसी पर निम्नलिखित चिंताओं को रेखांकित किया है:
- क्रिप्टो परिसंपत्तियां विकेंद्रीकृत प्रकृति की होती हैं। ऐसे में क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर उपभोक्ताओं की सुरक्षा और किसी भी विनियामक व्यवस्था को लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा।
- यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी रूप से प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
- क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है। यह सुरक्षा और जालसाजी रोधी उपायों के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है। प्रत्येक क्रिप्टोकरेंसी का नियंत्रण, ब्लॉकचैन नामक वितरित बहीखाता (ledger) तकनीक के माध्यम से किया जाता है।
- हालांकि, सरकार ने वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों पर कर लगाने की योजना शुरू की है, फिर भी इनके विनियमन पर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।
- वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियां ब्लॉकचैन पर लेन-देन की सभी डिजिटल परिसंपत्तियों के सबसेट हैं। इनमें गैर-प्रतिमोच्य टोकन (non-fungible tokens-NFI), क्रिप्टो और अन्य वर्चुअल परिसंपत्तियां शामिल हैं।
क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन के लिए SEBI के सुझाव:
- क्रिप्टो परिसंपत्तियों से संबंधित अविनियमित गतिविधियों को सरकार द्वारा नियुक्त एक जांच प्राधिकारी को सौंपा जा सकता है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 के तहत क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का विनियमन कर सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि, क्रिप्टो परिसंपत्तियां विदेशी क्षेत्राधिकार में भी ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हैं।
- ऐसे उत्पादों का लाभ उठाने वाले उपभोक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के माध्यम से संरक्षित किया जाना चाहिए।
स्रोत –द हिन्दू