क्रिप्टो परिसंपत्तियां वित्तीय स्थिरता के समक्ष चुनौतियां
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक रिपोर्ट के अनुसार क्रिप्टो परिसंपत्तियां वित्तीय स्थिरता के समक्ष चुनौतियां उत्पन्न कर सकती हैं।
अपनी वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के भाग के रूप में, IMF ने क्रिप्टो पारितंत्र से वित्तीय स्थिरता के समक्ष अवसरों और चुनौतियों का आकलन किया है।
क्रिप्टो पारितंत्र में विनिमय, वॉलेट, माइनर और स्टेबल कोइंस उपयोगकर्ता शामिल होते हैं।
क्रिप्टो करेंसी डिजिटल या आभासी मुद्राएं होती हैं। इनमें एन्क्रिप्शन तकनीकों का उपयोग इकाइयों के सृजन को विनियमित करने और निधियों के हस्तांतरण को सत्यापित करने के लिए किया जाता है। इसके परिचालन में केंद्रीय बैंक का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।
क्रिप्टो परिसंपत्तियों का कुल बाजार मूल्य वर्ष 2020 की शुरुआत से 10 गुना बढ़कर वर्तमान में 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- अवसरः सीमा पार से भुगतान सहित त्वरित और आसान भुगतान; नवोन्मेषी वित्तीय सेवाओं तक त्वरित पहुँच; विश्व के पूर्ववर्ती “बैंक रहित’ भागों आदि तक समावेशी पहुंच।
- पहचाने गए जोखिमः वित्तीय अस्थिरता (अत्यंत अस्थिर प्रकृति); उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी (अपर्याप्त प्रकटीकरण और निरीक्षण); धन शोधन एवं आतंकवाद का वित्तपोषण आदि।
भारत में क्रिप्टो करेंसी
- ज्ञातव्य है कि मई 2020 में, उच्चतम न्यायालय ने भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी एक सर्कुलर (वर्ष 2018 में) को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। इस सर्कुलर में सभी बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी में विनिमय करने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।
- हाल ही में, सरकार ने “क्रिप्टो करेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021” प्रस्तुत करने की घोषणा की है। इसके माध्यम से एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा का निर्माण और साथ ही, भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसियों को प्रतिबंधित किया जाएगा।
स्रोत – द हिन्दू