हाल ही में प्रधान मंत्री (PM) ने प्रमुख हितधारकों के साथ क्रिप्टो करेंसी से संबंधित मुद्दों की समीक्षा की है ।
इस बैठक में क्रिप्टो करेंसी के लिए विनियामक संभावनाओं पर विचार किया गया। साथ ही, अति-आशाजनक और गैर-पारदर्शी विज्ञापनों के माध्यम से युवायों को भ्रमित करने के प्रयासों को रोकने जैसे सामान्य मुद्दों पर आम सहमति बनी।
क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन, एथेरियम, रिपल आदि) डिजिटल या आभासी मुद्राएं हैं। इन मुद्राओं में एन्क्रिप्शन तकनीकों का उपयोग करेंसी यूनिट्स के निर्माण को विनियमित करने और धन के हस्तांतरण को सत्यापित करने के लिए किया जाता है।
क्रिप्टो करेंसी का परिचालन किसी केंद्रीय बैंक से स्वतंत्र रूप में होता है।
प्रत्येक क्रिप्टो करेंसी का नियंत्रण ब्लॉकचेन नामक वितरित बहीखाता (ledger) तकनीक के माध्यम से किया जाता है।
ब्लॉकचेन एक साझा और अपरिवर्तनीय बहीखाता है। यह एक व्यापार नेटवर्क में लेनदेन को रिकॉर्ड करने और परिसंपत्ति को ट्रैक करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है।
क्रिप्टो करेंसी के संबंध में चिंताएं
- विनियमन की कमी से व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम बढ़ जाता है। एक अविनियमित क्रिप्टो बाजार, धन-शोधन और आतंकवाद को वित्तपोषण की सुविधा प्रदान कर सकता है।
- निवेशकों के नुकसान के लिए एक्सचेंजों के कानूनी उत्तरदायित्व पर स्पष्टता का अभाव है। वर्ष 2020 में, उच्चतम न्यायालय ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के एक सर्कुलर को असंवैधानिक घोषित किया था। यह सर्कुलर बैंकों को क्रिप्टो करेंसी में कार्य करने से प्रतिबंधित करता था।
- वर्तमान में, क्रिप्टो करेंसी को न तो सरकार द्वारा वैध मुद्रा के रूप में मान्यता दी गई है, और न ही भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इसे विनियमित किया जाता है।
हाल ही में, सरकार ने ‘क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021’ जारी किया है। यह आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण हेतु एक रूपरेखा के निर्धारण और भारत में सभी प्रकार की निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने हेतु अधिदेशित है।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस