आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की

आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिति के ‘अस्थिर प्रभावों’ का हवाला देते हुए क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।

विदित हो कि चीन द्वारा भी सभी क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन को प्रभावी ढंग से पूर्ण प्रतिबंध लगाकर अवैध घोषित कर दिया है, जबकि अल सल्वाडोर ने बिटकॉइन को कानूनी निविदा के रूप में अनुमति प्रदान की है।

क्रिप्टो की वर्तमान स्थिति:

  • ज्ञातव्य हो कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने वाला कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं है। भारत में क्रिप्टोकरेंसी रखना अभी भी अवैध नहीं माना जाता है।
  • वर्ष 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार पर प्रतिबंध लगाने का सख्त आदेश दिया था, जो RBI द्वारा लगाया गया था।
  • केन्द्रीय बैंक वर्ष 2013 से ही लोगों को वर्चुअल करेंसी के इस्तेमाल के प्रति सचेत कर रहा है।
  • अप्रैल 2018 में आरबीआई ने विनियमित संस्थाओं को आभासी मुद्राओं में काम करने या किसी व्यक्ति या संस्था को उनके साथ व्यवहार करने या उन्हें निपटाने में सुविधा प्रदान करने के लिये सेवाएँ प्रदान करने से प्रतिबंधित कर दिया था। मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश को रद्द कर दिया था।
  • इसके बाद मई 2021 में केंद्रीय बैंक ने अपनी विनियमित संस्थाओं को सलाह दी कि वे अपने ग्राहक को जानें (KYC), एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग, धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 आदि के तहत आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के मानक दायित्व और विदेशी प्रेषण के विनियमन के लिये विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) मानदंडों को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुरूप, ऐसी विनिमयन प्रक्रियाओं को ग्राहकों के लिये जारी रखें।
  • केंद्रीय बजट 2022-2023 में आने वाले वित्तीय वर्ष में एक डिजिटल मुद्रा पेश करने का भी प्रस्ताव है।

आरबीआई की चिंताएँ:

  • नॉनफिएट मुद्रा: क्रिप्टोकरेंसी एक मुद्रा नहीं है, क्योंकि प्रत्येक आधुनिक मुद्रा को केंद्रीय बैंक या सरकार द्वारा जारी करने की आवश्यकता होती है।
  • काल्पनिक और अस्थिर: फिएट मुद्राओं का मूल्य मौद्रिक नीति और कानूनी निविदा के रूप में उनकी स्थिति से संबंधित होता है, हालाँकि क्रिप्टोकरेंसी का मूल्य पूरी तरह से उच्च रिटर्न के अनुमानों और अपेक्षाओं पर निर्भर करता है, जो स्थिर नहीं होता है, इसलिये किसी देश की स्थिरता पर इसका मौद्रिक एवं राजकोषीय रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।

क्रिप्टोकरेंसी:

  • क्रिप्टोकरेंसी, जिसे कभी-कभी क्रिप्टो-मुद्रा या क्रिप्टो कहा जाता है, मुद्रा का एक ऐसा रूप है जो डिजिटल या वस्तुतः मौजूद है और लेन-देन को सुरक्षित करने के लिये क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है।
  • क्रिप्टोकरेंसी में मुद्रा जारी करने या विनियमित करने वाला कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं है। यह लेन-देन को रिकॉर्ड करने और नई इकाइयों को जारी करने के लिये विकेंद्रीकृत प्रणाली का उपयोग करती है।
  • इसका संचालन एक विकेंद्रीकृत पीयर-टू-पीयर नेटवर्क द्वारा होता है जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है।

स्रोत –द हिन्दू

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