हाल ही में भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में कोविड-19 वैक्सीन के लिए पेटेंट संबंधी छूट की मांग की है।
भारत आगामी WTO की बैठक में कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण और इसकी आपूर्ति के लिए बौद्धिक संपदा अधिकारों में छूट की मांगों का नेतृत्व करेगा।
बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े व्यापार संबंधित पहलुओं (TRIPS) की कुछ शर्तों के अधीन इस पेटेंट छूट की मांग भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा की गई है।
कुछ विकसित देशों के विरोध के कारण इस वार्ता में बाधा उत्पन्न हुई है।
बौद्धिक संपदा अधिकारों में छूट की मांग के लिये उत्तरदायी कारक:
विशेष रूप से नए कोविडवेरिएंट से जुड़ीचिंताओं के फलस्वरूप बढ़ती मांग की पूर्ति करने के लिए।
संसाधनों का संकेंद्रण
वैक्सीन निर्माण तथा इस पर अनुसंधान एवं विकास संबंधी समस्त गतिविधियां देशों के एक छोटे समूह में ही अति-केंद्रित हैं।
नैतिक दृष्टिकोण-
वैक्सीन एक सामान्य वस्तु होनी चाहिए और इससे संबंधित कार्रवाई इस धारणा कि –‘जब तक हम सभीसुरक्षित नहीं हैं तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है’ से उत्पन्न होनी चाहिए।
बौद्धिक संपदा अधिकारों में छूट से जुड़ी विकसित देशों की चिंताएं
- इस तरह की छूट नवाचार को प्रभावित करेगी, क्योंकि बौद्धिक संपदा प्रणाली को टीकों, निदान और उपचार के नए आविष्कारोंको प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। प्रोत्साहन के अभाव में ये नवाचार हतोत्साहित हो सकते हैं।
- अनिवार्य लाइसेंसिंग, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था और टीकों के लिए दाता द्वारा वित्त पोषित कोवैक्स (COVAX) एडवांस मार्केट प्रतिबद्धता जैसे अन्य माध्यमों से भी समान पहुंच प्राप्त की जा सकती है।
“बौद्धिक संपदा अधिकार” (IPR) के बारे में
वे व्यक्तियों को उनके मस्तिष्क की सृजनात्मकता अर्थात आविष्कार, साहित्यिक और कलात्मक कार्य पर दिए गए अधिकार हैं। वे निर्माता/सृजनकर्ता को एक निश्चित अवधि के लिए अपनी सृजनात्मकता के उपयोग पर एक विशेष अधिकार प्रदान करते हैं।
बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े व्यापार संबंधित पहलुओं (ट्रिप्स) के बारे में
यह अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकारों पर एक समझौता है। यह सात प्रकार के बौद्धिक संपदा अधिकारों की उपलब्धता, दायरे और उपयोग के लिए न्यूनतम मानकों को निर्धारित करता है।
स्रोत – द हिन्दू