कोविड 19 ने वर्ष 2020 के दौरान भारत में बाल टीकाकरण को वर्षों पीछे कर दिया है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ (UNICEF) के अनुसार, वर्ष 2020 में नियमित टीकाकरण सेवाओं के माध्यम से 23 मिलियन बच्चे बुनियादी टीकों से वंचित रह गए थे। यह आंकड़ा वर्ष 2019 की तुलना में 3.7 मिलियन से अधिक है।
भारत में भी टीकाकरण में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।
यूनिसेफ, WHO, GAVI तथा वैक्सीन अलायंस जैसे साझेदार निम्नलिखित रूप से प्रतिरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करने के प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं:
- नियमित टीकाकरण कार्यक्रमों के सुचारू कार्यान्वयन को सक्षम करने के लिए सेवाओं और टीकाकरण अभियानों को पुनरिंभ करना।
- टीकाकरण के महत्व को समझाने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और सामुदायिक नेतृत्व की देखभाल करनेवालों (अभिभावकों) के साथ प्रभावी संवाद करने में मदद करना।
- यह सुनिश्चित करना कि कोविङ-19 वैक्सीन वितरण स्वतंत्र रूप से योजनाबद्ध और वित्तपोषित है तथा यह बाल्यावस्था की टीकाकरणसेवाओं की कीमत पर नहीं हो रहा है।
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जनजातीय कार्य मंत्री ने वर्चुअल माध्यम से ‘कोविड टीका संग सुरक्षित वन, धन और उद्यम’ अभियान की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य जनजातीय समुदाय के बीच कोविड टीकाकरण की गति में तेजी लाना है।
इस अभियान के तहत मुख्यतः तीन बिंदुओं पर ध्यान दिया जाएगाः
- जीवनः प्रत्येक जीवन और जीविका मूल्यवान है, इसलिए टीकाकरण जीवन की कुंजी है और यह निःशुल्क है।
- जीविकाः यदि आपको टीका लग गया है तो आप संक्रमित होने के भय के बिना अपने वन धन विकास केंद्र और आजीविका संबंधी गतिविधियों को जारी रख सकते हैं।
- जागरूकताः टीकाकरण पंजीकरण की प्रक्रिया का सरलीकरण।
भारत के टीकाकरण के लिए किए गए प्रयास:
- सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (1985) – मिशन इन्द्रधनुष और सघन मिशन इन्द्रधनुष ।
- संपूर्ण वैक्सीनस्टॉक प्रबंधन को डिजिटलीकृत करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (eVIN)।
स्रोत – द हिन्दू