कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की ओवरबर्डन हेतु पहल

कोल इंडिया लिमिटेड (CIL)की ओवरबर्डन हेतु पहल

कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने ओवरबर्डन (Overburden) से अत्यंत कम मूल्य पर रेत का उत्पादन करने वाली विशिष्ट पहल की शुरूआत की है।

  • यह कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) द्वारा जारी किया गया 5 वर्ष का रोडमैप है। इससे न केवल ओवरबर्डन से रेत उत्पादन हेतु रेत गाद व अवैध रेत खनन के कारण होने वाले पर्यावरण प्रदूषण में कमी लाने में सहायता मिलेगी, बल्कि निर्माण कार्य के लिए सस्ती रेत प्राप्त करने का एक विकल्प भी प्राप्त होगा।
  • कोयले के खुले-खनन (opencast mining) के दौरान,कोयले की परत के ऊपरी स्तर को ओवरबर्डन के रूप में जाना जाता है। इसमें मृदा, जलोढ़ रेत और समृद्ध सिलिका सामग्री से युक्त बलुआ पत्थर मिश्रित होते हैं।
  • भूमि के नीचे कोयले की खोज करने और उसका निष्कर्षणकरने के लिए ओवरबर्डन को हटाया जाता है। कोयले का निष्कर्षण पूर्ण होने के उपरांत, खदान को भरने तथा भूमि को उसके मूल स्वरूप में लाने के लिए ओवरबर्डन काउपयोग किया जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के अनुसार चीन औरभारत विश्व स्तर पर शीर्ष दो ऐसे देश हैं, जहां अवैध रेत खनन एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या बन गई है।
  • रेत के निष्कर्षण से प्रदूषण, बाढ़, जलभृतों के स्तर में गिरावट,पारिस्थितिक पर्यावासों का विनाश और बारंबार सूखा जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।

रेत के बारे में:

  • इसे भारत में एक गौण खनिज के रूप में वर्गीकृत किया गया है तथा इसे राज्यों द्वारा नियंत्रित कियाजाता है।
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बॉम्बे (IIT-B) के एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि शहरी भारत में रेत की वार्षिक मांग 60 मिलियन मीट्रिक टन है।

सरकार द्वारा किए गए अन्य उपायः

  • संधारणीय रेत प्रबंधन दिशा-निर्देश, 2016 जारी किए गए हैं।
  • रेत खनन फ्रेमवर्क, 2018 लागू किया गया है।
  • रेत खनन के लिए प्रवर्तन और निगरानी संबंधी दिशा-निर्देश, 2020 (Enforcement and Monitoring Guidelines for Sand Mining 2020) भी लागू किए गए हैं।
  • सीमेंट उत्पादन और निर्माण गतिविधियों में फ्लाई ऐश के उपयोगको बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • राज्य स्तरीय नीतियों के माध्यम से विनिर्मित रेत (एम-सैंड) (manufactured sand: M-Sand) को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

स्रोत – द हिन्दू

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