‘कोरोनल होल्स‘ परिघटना
हाल ही में नासा ने सूर्य की सतह पर काले धब्बे वाली एक तस्वीर खींची है जो आँखों और मुस्कान जैसी दिखती है। इन धब्बों को ‘कोरोनल होल्स’ कहा जाता है।
- नासा की सोलर डायनामिक्स ऑब्जर्वेटरी ने पराबैंगनी प्रकाश में कोरोनल होल्स की परिघटना का अवलोकन किया है।
- विदित हो कि ये होल्स आमतौर पर पराबैंगनी प्रकाश में देखे जा सकते हैं,आमतौर पर इन्हें सामान्य आँखों से नहीं देखा जा सकता।
कोरोनल होल्स के बारे में
- कोरोनल होल्स सूर्य की सतह पर ऐसे क्षेत्र होते हैं, जहां से तेज सौर पवनें अंतरिक्ष में प्रवेश करती हैं।
- चूंकि, उनमें सौर-पदार्थ कम होता है, इसलिए उनका तापमान कम होता है। इस वजह से वे अपने चारों ओर के परिवेश की तुलना में अधिक गहरे रंग के दिखाई देते हैं।
- कोरोनल होल्स कोई अनोखी घटना नहीं है। यह 11 वर्षों के लगभग पूरे सौर चक्र के दौरान दिखाई देती है।
- ये कोरोनल होल्स पृथ्वी पर सौर तूफान का कारण बन सकते हैं, क्योंकि वे सौर पवनों की एक जटिल धारा उत्सर्जित करते हैं।
- ये तेज सौर पवन धाराएं पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ संपर्क में आती हैं और भू-चुंबकीय तूफान (GMS) उत्पन्न करती हैं।
- GMS पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में एक विक्षोभ (disturbance) है। मैग्नेटोस्फीयर पृथ्वी के चारों ओर का क्षेत्र है। यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा नियंत्रित होता है।
- पृथ्वी का मैग्नेटोस्फीयर पृथ्वी को सूर्य द्वारा उत्सर्जित अधिकांश कणों से बचाता है।
- कोरोनल होल्स पृथ्वी के चारों ओर अंतरिक्ष के वातावरण को समझने में महत्त्वपूर्ण हैं जिसके माध्यम से हमारी तकनीक और अंतरिक्ष यात्री को सुविधा होती है।
भू-चुंबकीय तूफान:
- सौर तूफान सूर्य के धब्बों (सूर्य पर ‘अंधेरे’ क्षेत्र जो आसपास के फोटोस्फीयर – सौर वातावरण की सबसे निचली परत की तुलना में ठंडे होते हैं) से जुड़ी चुंबकीय ऊर्जा के निकलने के दौरान उत्पन्न होते हैं और कुछ मिनटों या घंटों तक रह सकते हैं।
- भू-चुंबकीय तूफान पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की अनियमितता से संबंधित हैं जो तब आते हैं जब सौर पवन से पृथ्वी के आसपास के अंतरिक्ष वातावरण में ऊर्जा का कुशल आदान-प्रदान होता है।
भू-चुंबकीय तूफानों का प्रभाव
- ये उच्च आवृत्ति वाले रेडियो प्रसारण और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम उपकरणों को बाधित करते हैं। उपग्रह की इलेक्ट्रॉनिक संरचना को नुकसान पहुंचाते हैं और अंतरिक्ष यात्रियों को अधिक विकिरण के प्रभाव में लाते हैं।
- चुंबकीय गतिविधि में परिवर्तन की वजह से वोल्टेज बढ़ने से पृथ्वी पर विद्युत की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
स्रोत – द हिन्दू