कोरोनल मास इजेक्शन
20 जुलाई, 2017 को हुए एक सौर विस्फोट के केंद्र की ऊर्जा अवस्था के निरंतर विकास पर दृष्टि बनाए रखने वाले वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह विचित्र ढंग से निरंतर एक स्थिर तापमान बनाए रखता है।
- कोरोना द्रव्य उत्क्षेपण/कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) सौर वातावरण से अंतरिक्ष में आवेशित कणों (प्लाज़्मा), और चुंबकीय क्षेत्रों के बड़े पैमाने पर हुए विस्फोट हैं।
- वे पृथ्वी पर भू-केंद्र और अंतरिक्ष आधारित संचार प्रौद्योगिकियों एवं उपग्रहों की एक शृंखला को बाधित कर सकते हैं।
कोरोनल मास इजेक्शन:
- कोरोनल मास इजेक्शन (CME) सौर वातावरण से अंतरिक्ष में आवेशित कणों (प्लाज़्मा) और चुंबकीय क्षेत्रों के बड़े पैमाने पर विस्फोट हैं। वे पृथ्वी पर भू-केंद्र और अंतरिक्ष आधारित प्रौद्योगिकियों एवं उपग्रहों की एक शृंखला को बाधित कर सकते हैं।
- CME के थर्मोडायनामिक गुणों का विकास, जैसे- तापमान और घनत्व, पृथ्वी पर संचार प्रणालियों पर उनके प्रभाव को समझने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- ठंडी क्रोमोस्फेरिक सामग्री (लगभग 104 K) से लेकर गर्म प्लाज़्मा (लगभग 107 K) तक CMEs के भीतर प्लाज़्मा तापमान की एक विस्तृत शृंखला होती है।
- CME कई प्रक्रियाओं के चलते ऊर्जा (विद्युत, गतिज, तापीय और इसी तरह की संभावित) का आदान-प्रदान कर सकते हैं, जिससे प्लाज़्मा को गर्म या ठंडा किया जा सकता है। CME को समझने से अंतरिक्ष मौसम की निगरानी करने की हमारी क्षमता में मदद मिलेगी।
भारत का सौर मिशन:
भारत के पहले सौर मिशन- आदित्य-एल1 पर विज़िबलएमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) आंतरिक कोरोना में CME की स्पेक्ट्रोस्कोपी और इमेजिंग दोनों का प्रदर्शन करेगा तथा आंतरिक कोरोना में CME थर्मोडायनामिक गुणों के विकास में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।
स्रोत – हिन्दुस्तान टाइम्स