कैप्टिव खानों से कोयले के 50% विक्रय के नियमों को अधिसूचित किया गया

कैप्टिव खानों से कोयले के 50% विक्रय के नियमों को अधिसूचित किया गया

हाल ही में कोयला मंत्रालय ने कैप्टिव खानों से कोयले के 50% विक्रय के नियमों को अधिसूचित किया है।

कोयला मंत्रालय ने खनिज रियायत नियम (Mineral Concession Rules), 1960 में संशोधन किया है। इस संशोधन के माध्यम से एक कैप्टिव खदान के पट्टेदार को एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित कुल कोयले या लिग्नाइट के 50% तक का विक्रय करने की अनुमति प्रदान की जाएगी।

मार्च 2021 में, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2021 पारित किया गया था। इसका उद्देश्य कैप्टिव खदानों को कोयले के विक्रय की अनुमति प्रदान करना है।

कैप्टिव खदानें वे खदानें होती हैं, जिनमें खान की स्वामित्व धारक कंपनी द्वारा अनन्य उपयोग के लिए कोयले या खनिज का उत्पादन किया जाता है। इसके विपरीत, गैर-कैप्टिव खदानें वे होती हैं, जिनमें कोयले का उत्पादन और साथ ही उसका विक्रय भी किया जाता है।

इस कदम का महत्व

  • अतिरिक्त कोयले की उपलब्धता से विद्युत संयंत्रों पर दबाव कम होगा, और कोयले के आयात प्रतिस्थापन में भी सहायता मिलेगी।
  • निजी कोयले और लिग्नाइट ब्लॉकों की खनन क्षमता का अधिकाधिक उपयोग संभव हो सकेगा।
  • इससे राज्य सरकारों के राजस्व में भी वृद्धि होगी।
  • कोयला मंत्रालय ने किसी सरकारी कंपनी या निगम को कोयलाया लिग्नाइट हेतु खनन पट्टा (mining lease) प्रदान करने के लिए प्रावधान किए हैं। इस पट्टे की अवधि पचास वर्षों की होगी।
  • वर्धित खनन अवधि पट्टे प्रदान करने से विस्तार हेतु किए जाने वाले आवेदनों की संख्या में कमी आएगी। इससे खनन कायों में निरंतरता सुनिश्चित होगी।

स्रोत – पी आई बी

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