कोयले के आयात और आत्मनिर्भरता संबंधी रिपोर्ट
हाल ही में कोयला, खान और इस्पात पर संसद की स्थायी समिति ने ‘कोयले के आयात – रुझान और आत्मनिर्भरता के मुद्दे’ शीर्षक से रिपोर्ट पेश की है।
आयात रुझान
- कोयला आयात धीरे-धीरे बढ़ा है। यह वर्ष 2006-07 के 43 मिलियन टन (MT) से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 215 MT हो गया है।
- कोयले की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कोयले का आयात किया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में देश में कोयले की कुल मांग 1027 MT थी ।
आत्मनिर्भरता से जुड़े मुद्दे
- उच्च गुणवत्ता वाले कोयले / कोकिंग कोल की आपूर्ति सीमित है ।
- माल ढुलाई और बंदरगाह प्रबंधन शुल्क बहुत अधिक है।
- भारतीय कंपनियां विदेशों में कोयला ब्लॉक का अधिग्रहण नहीं कर रही हैं।
- नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में निजी क्षेत्र पीछे हट रहा है।
उठाए गए प्रमुख कदम
कोयले के आयात को कम करने के लिए पहलः
- कोयले के आयात को रोकने के लिए संबंधित क्षेत्रकों को प्रोत्साहित करने हेतु अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है।
- कोयले के आयातकों को कोयला आयात प्रबंधन प्रणाली में पंजीकरण कराना होता है।
- आपूर्ति किए जाने वाले कोयले की गुणवत्ता में सुधार: विस्फोट रहित खनन तकनीक को अपनाया जाएगा।
- कोयले की कीमत कम करने के लिए: मानव एवं मशीन के उपयोग को बेहतर किया जा रहा है, प्रौद्योगिकी में सुधार किया है रहा, गैर-आवश्यक वस्तुओं पर व्यय को कम करने पर बल दिया जा रहा है आदि ।
संसदीय समिति की प्रमुख सिफारिशें
- आयातित कोकिंग कोल पर निर्भरता को कम करने के लिए अधिक कोयला धावनशालाएं (washeries) स्थापित की जानी चाहिए ।
- आवश्यक पर्यावरणीय और वन मंजूरी के बाद ही नए खोजे गए / विकसित स्थलों में खनन कार्य शुरू किए जाने चाहिए ।
- राजस्व बंटवारे के आधार पर अधिक खदानों की नीलामी की जानी चाहिए।
- नई तकनीकों को अपनाकर खदानों के मशीनीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ।
- विदेशी कोयला ब्लॉकों का अधिग्रहण किया जाना चाहिए।
कोयला:
- यह सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन है। इसका उपयोग घरेलू ईंधन के रूप में लोहा, इस्पात, भाप इंजन जैसे उद्योगों में और बिजली पैदा करने के लिये किया जाता है।
- कोयले से उत्पन्न बिजली को ‘थर्मल पावर’कहते हैं।
- आज हम जिस कोयले का उपयोग कर रहे हैं वह लाखों साल पहले बना था, जब विशाल फर्न और दलदल पृथ्वी की परतों के नीचे दब गए थे। इसलिये कोयले को बरीड सनशाइन (Buried Sunshine) कहा जाता है।
- दुनिया के प्रमुख कोयला उत्पादकों में चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और भारत शामिल हैं।
- भारत के कोयला उत्पादक क्षेत्रों में झारखंड में रानीगंज, झरिया, धनबाद और बोकारो शामिल हैं।
- कोयले को भी चार रैंकों में वर्गीकृत किया गया है: एन्थ्रेसाइट, बिटुमिनस, सबबिटुमिनस और लिग्नाइट। यह रैंकिंग कोयले में मौजूद कार्बन के प्रकार व मात्रा और कोयले की उष्मा ऊर्जा की मात्रा पर निर्भर करती है।
स्रोत – लाइव मिंट