कोयले की कमी और भुगतान में देरी के कारण बिजली संकट
हाल के दिनों में हीटवेव, कोयले की कमी और भुगतान में देरी के कारण भारत में बिजली की कमी का संकट गहरा गया है।
पिछले एक हफ्ते में भारत में बिजली की कुल कमी 623 मिलियन यूनिट (एमयू) तक पहुंच गई है।
बिजली की कमी के कारण
- हीटवेव की स्थिति के कारण ऊर्जा की अधिक खपत वाली कूलिंग अवसंरचना की मांग बढ़ गयी है।
- अधिक मूल्य और राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा के कारण राज्य खुले बाजार से बिजली नहीं खरीदना चाहते हैं।
- ताप विद्युत संयंत्रों को आमतौर पर मानसून के दौरान कोयले की कमी का सामना करना पड़ता है।लेकिन, वर्तमान में कोयले की कम आपूर्ति और संयंत्रों को कोयले की ढुलाई के लिए वैगनों की कमी के कारण कोयला संकट शुरू हुआ है।
- रूस-यूक्रेन संकट के कारण, पिछले कुछ महीनों में विश्व भर में कोयले की कीमतों में 250% की वृद्धि हुई है।
बिजली उत्पादन में कोयले का योगदान
- भारत की लगभग 70% बिजली की मांग कोयले से चलने वाले विद्युत् संयंत्र पूरी करते हैं।
- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है। वर्ष 2020 की स्थिति के अनुसार भारत के पास विश्व का 5वां सबसे बड़ा कोयला भंडार है।
कोयले का वर्गीकरण:
- एन्थेसाइट : यह कोयले की सबसे उत्तम कोटि है । इसमें 80 से 95 प्रतिशत कार्बन की मात्रा होती है। यह अल्प मात्रा में जम्मू और कश्मीर में पाया जाता है।
- बिदुमिनसः इसमें 60 से 80 प्रतिशत कार्बन की मात्रा होती है। इसमें नमी बहुत कम होती है। यह कोयला झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पाया जाता है।
- लिग्नाइटः इसमें 40 से 55 प्रतिशत कार्बन की मात्रा होती है। यह राजस्थान, लखीमपुर (असम) और तमिलनाडु में पाया जाता है।
- पीट कोयला :इसमें कार्बन की मात्रा 50% से 60% तक होती है। इसे जलाने पर अधिक राख एवं धुआँ निकलता है। यह सबसे निम्न कोटि का कोयला है।
स्रोत – द हिंदू