कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) नियमो को सरल बनाने की पहल

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) नियमो को सरल बनाने की पहल

हाल ही में कॉर्पोरेट विशेषज्ञों द्वारा सरकार से कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) के नियमों को सरल बनाने की मांग की गई हैं।

इसके तहत कंपनियों ने आग्रह करते हुए कहा कि यदि कोई कंपनी अपने कर्मचारियों पर कोविड-19 के इलाज और उनके टीकाकरण पर व्यव करती है तो उस कॉरपोरेटव्यव को कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत कवर किया जाए।

विदित हो कि वर्तमान में कंपनियोंद्वारा अपने कर्मचारियों के कल्याण के लिये किये गए व्यय की गणना अनिवार्य CSR व्यय के हिस्से के रूपनहीं होती है।

लाभ

  • कर्मचारियों पर कॉर्पोरेटसोशलरिस्पांसिबिलिटीके तहत टीकाकरण पर कॉर्पोरेट व्यय की अनुमति मिलने से विनिर्माण क्षेत्र में असंगठित श्रमिकों के लिये टीकाकरण को बढ़ावा मिलेगाऔर स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत होगी ।
  • विदित हो कि कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय वर्ष 2020 में कंपनियों को कोविड-19 से संबंधित राहत कार्यों के लिये CSR निधि खर्च करने की अनुमति प्रदान की थी।जिसके तहत कम्पनीकोविड दवाओं, टीकों और चिकित्सा उपकरणों के अनुसंधान और विकास पर व्यय कर सकती है।

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी :

  • कॉर्पोरेटसोशलरिस्पांसिबिलिटी (Corporate social responsibility ) अर्थात कारपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी वास्तव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत को व्यवहार में उतारने का एक माध्यम है।गांधी जी का मानना था कि, उद्योगपति तथा धनवान लोग अपने धन के ट्रस्टी बनकर सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करें ।
  • अर्थात वे अपने आप को धन का मालिक नहीं अपितु उसका ट्रस्टी अर्थात रखवाला मात्र ही समझें,करोड़ों रुपए प्रति वर्ष कमाने वाले उद्योगपति को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए ।इसी सिद्धांत के तहत सीएसआरको कंपनियों पर लागू किया गया है।
  • कॉर्पोरेटसोशलरिस्पांसिबिलिटी (CSR) के तहत कंपनियाँसामाजिक और पर्यावरण संबंधी क्षेत्रों में अपने व्यय को लगा सकती हैं ।

प्रभाव आकलन अध्ययन’ (Impact Assessment Studies) :

  • यह CSR परियोजनाओं के द्वारा लक्षित लाभार्थियों तथा उनके आस-पास के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परिवर्तनों का मूल्यांकन है।

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी : कंपनी अधिनियम, 2013

  • भारत में CSR की अवधारणा को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत नियंत्रित किया जाता है।भारत CSR को अनिवार्य करने वाला दुनिया का प्रथम देश है ।
  • CSR का प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होता है, जिन कम्पनियों की सालाना नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये या सालाना आय 1000 करोड़ की या सालाना लाभ 5 करोड़से अधिक हो।
  • अधिनियम में कहा गया है कि कम्पनियों को तीन वर्षों के शुद्ध लाभों के औसत का 2% CSR गतिविधियों पर खर्च करना होगा । अधिनियम के अनुसार कंपनियों के पास एक कॉर्पोरेटसोशलरिस्पॉन्सिबिलिटी कमेटी भी गठित करने का प्रावधान है।
  • CSR के प्रावधान केवल भारतीय कंपनियों पर ही लागू नहीं होते हैं, बल्कि यह भारत में विदेशी कंपनी की शाखा और विदेशी कंपनी के परियोजना कार्यालय के लिए भी लागू होते हैं।

CSR गतिविधियाँ :

कंपनी अधिनियम की 7वीं अनुसूची में उन गतिविधियों की सूची दी गई है, जो CSR के दायरे में आती हैं। ये निम्न हैं –

  • गरीबी व भूख का उन्मूलन।
  • शिक्षा का प्रचार-प्रसार, लिंग समानता व नारी सशक्तीकरण।
  • ह्यूमनइम्यूनो-डिफीसिएन्सीवायरस, एक्वायर्डइम्यूनडेफिसिएंसीसिंड्रोम और अन्य बीमारी से लड़ने की तैयारी।
  • पर्यावरणीय संतुलन को सुनिश्चित करना।
  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष एवं सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए बने किसी कोष एवं विकास और राहत के लिये केंद्र या राज्य सरकार द्वारा गठित किसी कोष में योगदान आदि।

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के लिए  इंजेतीश्रीनिवास समिति:

इस समिति को वर्ष 2018 में इंजेतीश्रीनिवास की अध्यक्षता में गठित किया गया था। इस समिति ने कंपनी अधिनियम 2013 के खंड-7 (SCHEDULE VII) कोसतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप बनाने की सिफारिश की थी।

स्रोत – द हिन्दू

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