कॉम्प्रिहेंसिव ऐंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फॉर ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (CPTPP)
हाल ही में यूनाइटेड किंगडम ‘कॉम्प्रिहेंसिव ऐंड प्रोग्रेसिव एग्रीमेंट फॉर ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (CPTPP)’ में शामिल होने पर सहमत हो गया है।
- CPTPP एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है । इस पर 2018 में चिली के सैंटियागो में 11 देशों के बीच सहमति बनी थी।
- ये 11 देश हैं: ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, जापान, मलेशिया, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, पेरू, सिंगापुर और वियतनाम ।
- CPTPP के सभी 11 देश एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) के सदस्य हैं ।
- यूनाइटेड किंगडम CPTPP में शामिल होने के बाद इसका 12वां सदस्य होगा। साथ ही, इसकी स्थापना के बाद से इसमें सम्मिलित होने वाला यूरोप का पहला देश भी होगा । वर्ष 2017 में ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (TPP) से संयुक्त राज्य अमेरिका के हटने के बाद TPP की जगह CPTPP की स्थापना की गई थी ।
CPTPP का महत्त्व –
- यह विश्व के 500 मिलियन उपभोक्ताओं और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 13.5 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करने वाला एक व्यापारिक समूह है ।
- यह समूह पर्यावरण और श्रम अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है । ये अधिकार विवाद समाधान द्वारा लागू किए जा सकते हैं।
- CPTPP सदस्य देशों के भीतर 98 प्रतिशत वस्तुओं के निर्यात पर प्रशुल्क को समाप्त करता है और बाधाओं को कम करता है।
- यह ’21वीं सदी’ के व्यापार और निवेश संबंधी मुद्दों का समाधान प्रस्तुत करता है ।
- इनमें भ्रष्टाचार के खिलाफ नियम बनाना, राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों द्वारा अनुचित प्रतिस्पर्धा को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के लिए उदार परिवेश सुनिश्चित करना शामिल हैं।
भारत CPTPP का हिस्सा क्यों नहीं है?
- CPTPP में श्रम और पर्यावरण मानकों से लेकर बौद्धिक संपदा विनियमों तक सभी को सुसंगत बनाने की मांग की गई है। यह भारत जैसे विकासशील देश के हित में नहीं है।
- इसमें शामिल होने वाले देश द्वारा व्यापक आर्थिक रियायत देने की आवश्यकता होती है। यह शर्त भारत के व्यापार संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
स्रोत – द हिन्दू