कॉफी (संवर्धन और विकास) विधेयक, 2022
हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कॉफी (संवर्धन और विकास) विधेयक, 2022 का प्रारूप प्रस्तुत किया है ।
यह विधेयक पारित होने के बाद 80 वर्ष पुराने कॉफी अधिनियम, 1942 की जगह लेगा।
नए विधेयक के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- कॉफी बोर्ड के कामकाज का आधुनिकीकरण करना,
- निर्यात को बढ़ावा देना और घरेलू बाजार के विकास में सहायता करना।
- वर्ष 1942 के अधिनियम के तहत, कॉफी बोर्ड के पास स्थानीय और वैश्विक, दोनों बाजारों में विपणन को नियंत्रित तथा बिक्री को विनियमित करने की शक्तियां हैं।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान –
कॉफी बोर्ड के कार्यों का विस्तार किया गया है।
इसके नए कार्यों में शामिल हैं:
- कॉफी के उत्पादन को बढ़ावा देना और अनुसंधान, विस्तार व गुणवत्ता सुधार में मदद करना;
- कॉफी/कॉफी उत्पादकों को प्रोत्साहन देना तथा कॉफी उत्पादकों का कौशल विकास करना।
- कॉफी उद्योग का समग्र प्रचार और विकास।
- कॉफी बागानों, प्रसंस्करण इकाइयों और कॉफी समुदायों में श्रमिकों के हितों की रक्षा करना।
- दस्तावेजीकरण और प्रक्रियाओं को सरल बनाकर इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देना। इनमें संसाधित करने वाली इकाइयों का केवल एक बार पंजीकरण भी शामिल है।
भारत में कॉफी बागान के बारे में–
- कॉफी के पौधे को गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके लिए अनुकूल तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। साथ ही, 150 से 250 सेंटीमीटर वर्षा की जरूरत होती है।
- भारत में कॉफी पारंपरिक रूप से दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट के वर्षावनों में उगाई जाती है। इसका उत्पादन मुख्य रूप से कर्नाटक (सर्वाधिक), केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में होता है।
- भारत विश्व के 80 कॉफी उत्पादक देशों में छठे स्थान पर है।
स्रोत –द हिन्दू