केशवानंद भारती वाद के 50 वर्ष

केशवानंद भारती वाद के 50 वर्ष

हाल ही में केशवानंद भारती श्रीपदागलवरु और अन्य बनाम केरल राज्य मामले के 50 वर्ष पूरे हुए हैं।

केशवानंद भारती मामले (1973) में कई प्रमुख कानूनी मुद्दे शामिल थे।

इनमें कुछ प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित थेः

  • केरल भूमि सुधार अधिनियम की संवैधानिक वैधता: इस अधिनियम के अनुसार कोई व्यक्ति एक निश्चित सीमा से अधिक जमीन का स्वामी नहीं हो सकता था।
  • क्या संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति असीमित है?

संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत

  • उपर्युक्त मामले में निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मूल ढांचे के सिद्धांत (Doctrine of basic structure) का प्रतिपादन किया गया था ।
  • इस सिद्धांत के अनुसार, संविधान की कुछ आधारभूत विशेषताएं हैं, जिन्हें संविधान संशोधन के माध्यम से संसद न तो संशोधित तथा न ही निरस्त कर सकती है।
  • इन आधारभूत विशेषताओं में शामिल हैं- संविधान की सर्वोच्चता, कानून का शासन, न्यायपालिका की स्वतंत्रता आदि ।

अन्य महत्वपूर्ण मामलों में शामिल हैं: किहोतो होलोहन बनाम ज़ाचिल्हू और अन्य वाद, 1992 (दसवीं अनुसूची से संबंधित); मिनर्वा मिल्स वाद, 1980; एल. चंद्र कुमार बनाम भारत संघ वाद, 1997 (प्रशासनिक अधिकरणों से संबंधित) आदि ।

केशवानंद भारती वाद का महत्त्व

  • न्यायिक समीक्षा के दायरे का विस्तार किया गया।
  • ‘मूल ढांचे के सिद्धांत’ ने संविधान निर्माताओं के अंतर्निहित दर्शन को संरक्षित रखने में मदद की है।
  • संविधान संशोधन करने की संसद की शक्ति पर नियंत्रण स्थापित किया है ।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस

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