केन्द्रीय मंत्रिमंडल की डिस्कॉम/विद्युत विभागों के लिए वित्तीय सहायता
हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र योजना को स्वीकृति प्रदान की है।
इसका उद्देश्य आपूर्ति बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए डिस्कॉम/विद्युत विभागों (निजी क्षेत्र के डिस्कॉम को छोड़कर) को सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए परिचालन क्षमता और वित्तीय स्थिरता में सुधार करना है।
यह सहायता पूर्व अर्हता मानदंडों को पूरा करने के साथ-साथ बुनियादी न्यूनतम मानदंड की उपलब्धि पर आधारित होगी।
यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 तक उपलब्ध रहेगी। इसके लिए पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन (PFC) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (REC) नोडल एजेंसियां होंगी।
उद्देश्य
- वित्त वर्ष 2024-25 तक समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक (AT&C) हानियों को अखिल भारतीय स्तर पर 12 से15 प्रतिशत तक कम करना।
- वित्त वर्ष 2024-25 तक आपूर्ति की औसत लागत तथा औसत राजस्व प्राप्ति (ACS-ARR) के अंतर को शून्य करना।
- आधुनिक डिस्कॉम्स के लिए संस्थागत क्षमताओं का विकास करना।
- उपभोक्ताओं को विद्युत् आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना।
योजना के घटक
- उपभोक्ता मीटर और सिस्टम मीटरः कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटर; शहरी क्षेत्रों, संघ शासित प्रदेशों, अमृत (अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन) शहरों आदि को प्राथमिकता देना।
- फीडर का वर्गीकरणः कुसुम के तहत सौरकरण को सक्षम करने के लिए कृषि कनेक्शनों से असंबद्ध फीडर वर्गीकरण हेतु वित्त पोषण।
- शहरी क्षेत्रों में वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्र प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण।
प्रमुख विशेषताएँ
- किसानों के लिए विद्युत् की आपूर्ति में सुधार लाने और कृषि फीडरों के सौरकरण के माध्यम से उन्हें दिन के समय विद्युत् उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड में प्रीपेड स्मार्ट मीटरिंग के माध्यम से उपभोक्ता सशक्तीकरण।
- सिस्टम मीटर, प्रीपेड स्मार्ट मीटर सहित आईटी/ओटी उपकरणों के माध्यम से उत्पन्न डेटा का विश्लेषण करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाम उठाया जाएगा, ताकि प्रत्येक माह सिस्टम द्वारा तैयार खाता रिपोर्ट तैयार की जा सके।
स्रोत: द हिन्दू