कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) में चीतों की मौत का कारण
हाल ही में मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) में चीतों की होने वाली अधिक मौतों का पता राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा लगाया गया है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अनुसार कुनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है ।
विदित हो कि जुलाई 2023 तक स्थानांतरित जानवरों में से पांच और भारत में जन्मे चार शावकों में से तीन की मृत्यु हो चुकी है।
इसके साथ ही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के अनुसार, वैश्विक अनुभव से पता चलता है कि अफ्रीकी देशों में चीतों को फिर से बसाने के शुरुआती चरण में फिर से बसाए गए लगभग पचास प्रतिशत से अधिक चीतों की मृत्यु हुई है।
प्रोजेक्ट चीता क्या है?
प्रोजेक्ट चीता भारत का चीता पुनर्वास कार्यक्रम है और शायद दुनिया में अपनी तरह का सबसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है।
NTCA पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF& CC) के तहत एक सांविधिक निकाय है। इसे प्रोजेक्ट चीता के कार्यान्वयन का कार्य सौंपा गया है।
प्रोजेक्ट चीता के तहत पहली बार कुल 20 रेडियो कॉलर लगे चीतों को नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में लाया गया था।
ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी मांसाहारी जानवर को सीधे एक महाद्वीप के वनों से दूसरे महाद्वीप के वनों में लाया गया है।
प्रयास यह है कि, अगले दशक में, हर साल 5-10 जानवरों को लाया जाए, जब तक कि लगभग 35 चीतों की आत्मनिर्भर आबादी स्थापित न हो जाए।
दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया में चीतों के विपरीत, जो बाड़ वाले अभ्यारण्यों में रह रहे हैं, भारत की योजना उन्हें प्राकृतिक, बिना बाड़ वाले, जंगली परिस्थितियों में विकसित करने की है।
चीता या एसिनोनिक्स जुबेटस के बारे में:
चीता दुनिया का सबसे तेज़ दौड़ने वाला स्तनपायी है। यह शुष्क व झाड़ीदार वनों और सवाना घासभूमि की एक कीस्टोन प्रजाति है।
कीस्टोन प्रजाति एक ऐसी प्रजाति होती है, जो पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को परिभाषित करने में मदद करती है। यह CITES के परिशिष्ट 1 के तहत संरक्षित है।
IUCN की स्थिति के अनुसार अफ्रीकी चीता को ‘वल्नरेबल’ तथा एशियाई चीता को ‘क्रिटिकली एंडेंजर्ड’ श्रेणी में रखा गया है ।
चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी है जो मुख्य रूप से अत्यधिक शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण भारत से पूरी तरह से नष्ट हो गया।
देश का आखिरी चित्तीदार चीता 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल जंगलों में मर गया और 1952 में इस जंगली जानवर को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया।
चीता को फिर से लाने की पहली योजना 1970 के दशक में ईरान के साथ बातचीत के दौरान ली गई थी। ईरान के चीते भारत के विलुप्त जानवरों की तरह एशियाई थे। योजना एशियाई शेरों को एशियाई चीतों से बदलने की थी।
कुनो राष्ट्रीय उद्यान
2018 से राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्राप्त ‘कुनो राष्ट्रीय उद्यान’ मध्य प्रदेश में स्थित है जिसे 1981 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था।
कूनो नदी राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती है। यह स्थान प्राचीन किलों और संरचनाओं से भरा है। यह मध्य भारत की विंध्य पहाड़ियों में स्थित है।
यह खथियार-गिर शुष्क पर्णपाती जंगलों का हिस्सा है, जहां “करधई”, “खैर” और “सलाई” पेड़ों का प्रभुत्व है ।
स्रोत – द हिन्दू