केंद्र सरकार मणिपुर में विद्रोही समूह से करेगा बातचीत
हाल ही में, रक्षा मंत्री ने मणिपुर में सक्रिय विद्रोही समूह से हिंसा छोड़ने और बातचीत से समाधान निकालने का सुझाव दिया है।
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के लिए उनके साथ वार्ता करने हेतु तैयार है।
मणिपुर में विद्रोह बढ़ने के कारण:
- भारत संघ में मणिपुर के कथित “जबरन विलय” (1949), और बाद में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा देने में देरी (1972) पर कथित असंतोष उत्पन्न हुआ था। इस असंतोष को ही मणिपुर में मेतेई-आधारित अलगाववादी विद्रोह (जैसे UNLE, PLA आदि) के उदय हेतु जिम्मेदार ठहराया जाता है।
- इंफाल घाटी में मेतेई समुदाय बहुसंख्यक है, जबकि आसपास के पहाड़ी जिलों में नागा और कुकी समुदाय निवास करते हैं।
- पड़ोसी राज्य नागालैंड में जारी नागा आंदोलन मणिपुर के पहाड़ी जिलों तक फैल गया है। इसके अधिकांश हिस्सों पर NSCN-IM का नियंत्रण है।
- NSCN-IM की ‘नागालिम राज्य की मांग को मणिपुर की “क्षेत्रीय अखंडता के लिए “खतरा’ माना जा रहा है।
- नागा और कुकी जनजातियों के बीच नृजातीय संघर्ष ने कई कुकी विद्रोही समूहों का गठन किया है। इन संघर्षों की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी।
- कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) जैसे विद्रोही संगठन मणिपुर में कुकी जनजाति के लिए एक अलग राज्य की मांग कर रहे हैं।
उग्रवाद को नियंत्रित करने के उपाय
- कुकी संगठनों ने वर्ष 2008 में केंद्र और मणिपुर सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SoO) समझौता किया था। हालांकि, प्रमुख मणिपुर-आधारित संगठन अब भी बातचीत के लिए तैयार नहीं हुए हैं।
- वर्ष 2020 में, नागा और कुकी समुदाय ने संघर्ष विराम का आह्वान करते हुए विवादास्पद मुद्दों को शांतिपूर्वक ढंग से सुलझाने के लिए एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
- संपूर्ण मणिपुर को “अशांत क्षेत्र (1980) के रूप में घोषित किया गया है। इसके अलावा, क्षेत्र में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA) लागू किया गया है।
- समर्पण-सह-पुनर्वास कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।
स्रोत –द हिन्दू