केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission -CIC) में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का आदेश
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ‘केंद्रीय सूचना आयोग’ के सूचना आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित , रिक्तियों और लंबित मामलों की सही जानकारी को आधिकारिक तौर पर प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
संबंधित मामला
उच्चतम न्यायालय में दायर एक याचिका में, वर्ष 2019 के एक फैसले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए निर्देशों को लागू करने हेतु सरकारी अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है।
सुप्रीमकोर्ट का निर्णय:
- केंद्र और राज्य सरकारों को पारदर्शी और समय पूर्वक केंद्रीय और राज्य सूचना आयोगों में रिक्त पदों को भरने के लिए बहुत से निर्देश जारी किए थे।
- अदालत ने ‘केंद्रीय सूचना आयोग’ में मौजूद रिक्तियों को भरने के संबंध में केंद्र को तीन महीने का समय दिया था।
केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission)
- सूचना अधिकार अधिनयम, 2005 के अंतर्गत, वर्ष 2005 में केंद्रीय सूचना आयोग का गठन, केंद्र सरकार द्वारा किया गया था।
- इसके प्रमुख सदस्यों में, आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त तथा अधिकतम दस सूचना आयुक्त सम्मिलित होते हैं।
- आयोग के सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की अनुशंसा पर नियुक्त किया जाता है। इस समिति में प्रधान मंत्री अध्यक्ष के रूप में, तथा सदस्य के रूप में लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और प्रधान मंत्री द्वारा नामित अन्य केंद्रीय कैबिनेट मंत्री सम्मिलित होते हैं।
- मुख्य सूचना आयुक्त और एक सूचना आयुक्त, केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अवधि तक या 65 वर्ष की आयु पूरी करने तक, इनमे से जो भी पहले हो, पद पर कार्यरत रहते हैं। इसके अलावा आयोग के सदस्य पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होते हैं।
‘केंद्रीय सूचना आयोग’ के कार्य एवं शक्तियां
- इसका मुख्य कार्यसूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत मांगी गई जानकारी के संबंध में किसी भी व्यक्ति की शिकायत प्राप्त करना और उसकी जांच करना है।
- केंद्रीय सूचना आयोग, उचित आधार होने पर (स्वतः संज्ञान लेते हुए) किसी भी मामले के विषय में जांच का आदेश दे सकता है।
- जांच के मध्य, आयोग के पास किसी भी संबंधित व्यक्ति को बुलाने, दस्तावेजों की मांग करने आदि के संबंध में एक सिविल कोर्ट के समान शक्तियां प्राप्त होती हैं।
स्रोत – द हिन्दू