केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा भू-जल भण्डार रिपोर्ट
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा भू-जल भण्डार रिपोर्ट
हाल ही में, केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (CGWB) के एक अध्ययन के अनुसार भारत के भूजल भंडारों के 1/6 भाग का अति दोहन किया जा चुका है।
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (CGWB) द्वारा गतिशील भूजल संसाधनों के नवीनतम आकलन से देश की भूजल स्थिति में सुधार के संकेत प्राप्त हुए हैं।
मुख्य निष्कर्षः
- प्राकृतिक और कृत्रिम (वर्षा जल संचयन) पुनर्भरण में वृद्धि तथा निष्कर्षण में कमी के कारण मूल्यांकन की ‘अतिदोहित’ (overexploited) एवं ‘गंभीर’ श्रेणी वाली इकाइयों की संख्या में गिरावट आई है।
- ‘अति-दोहित’ इकाइयाँ वे हैं, जहाँ भूजल निष्कर्षण की दर वार्षिकपुनर्पूर्ति योग्य भूजल पुनर्भरण (100 प्रतिशत से अधिक) से ज्यादाहै।
- ‘गंभीर’ श्रेणी के लिए 90-100 प्रतिशत निष्कर्षण; ‘अर्द्ध-गंभीर’के लिए 70-90 प्रतिशत के मध्य निष्कर्षण एवं ‘सुरक्षित’ श्रेणी हेतु70 प्रतिशत से कम निष्कर्षण की दर निर्धारित की गई है।
- वार्षिक भूजल पुनर्भरण में भी वृद्धि दर्ज की गई है। यह वर्ष 2017 में 431 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) से बढ़कर वर्ष 2020 में 438 BCMहो गई है।
- शुद्ध निष्कर्षण योग्य भूजल संसाधनों में वृद्धि (वर्ष 2017 में 393BCM से बढ़कर वर्ष 2020 में 398 BCM) हुई है।
भूजल संकट के कारणः
उत्तर-पश्चिमी राज्यः धान एवं गन्ने जैसी जल गहन फसलों की कृषिके लिए विवेकहीन तरीके से जल निष्कर्षण।
पश्चिमी राज्यः शुष्क जलवायु के कारण सीमित भूजल पुनर्भरण।
प्रायद्वीपीय राज्यः क्रिस्टलीय जलभृतों में अंतर्निहित गुणों के कारण सीमित भू-जल उपलब्धता।
सरकार द्वारा भूजल हेतु की गई पहलें:
- अटल भूजल योजना (ABHY) राष्ट्रीय भूजल प्रबंधन सुधार कार्यक्रम; प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (छिड़कावऔर ड्रिप/बूंद-बूंद सिंचाई); पारंपरिक जल संचयन विधियों (वाव, बावड़ी आदि) को प्रोत्साहित करना इत्यादि।
स्रोत:द हिन्दू
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