दवाओं के लिए केंद्रीकृत गुणवत्ता जांच प्रणाली
हाल ही में ‘स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय’ (MoHFW) ने दवाओं के लिए केंद्रीकृत गुणवत्ता जांच प्रणाली का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
MoHFW, केंद्रीय औषधि नियंत्रण मानक संगठन (Central Drugs Standard Control Organization – CDSCO) के तहत दवा पंजीकरण की एक केंद्रीकृत प्रणाली बनाने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है। यह प्रस्तावित प्रणाली दवाओं की गुणवत्ता पर कड़ी नजर रखेगी।
CDSCO के ऑनलाइन पोर्टल ‘सुगम’ को उपर्युक्त उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए नया रूप दिया जाएगा। यह पोर्टल नई दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी करता है ।
MoHFW ने यह कदम विदेशों में विषाक्त भारतीय दवाओं के सेवन से कथित तौर पर हुई मौतों को देखते हुए उठाया है।
ध्यातव्य है कि गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में विषाक्त दवा के सेवन के कारण हुई बच्चों की मौत के लिए भारत में निर्मित खांसी की सिरप को जिम्मेदार ठहराया गया था।
भारत में दवा विनियमन
- केंद्रीय औषधि नियंत्रण मानक संगठन (Central Drugs Standard Control Organization- CDSCO), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत केंद्रीय दवा प्राधिकरण है।
- यह नई औषधि और क्लीनिकल परीक्षण नियमावली, 2019 तथा औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत टीकों सहित दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा एवं प्रभावकारिता को नियंत्रित करता है।
- CDSCO नई दवाओं को बाजार में बेचने की अनुमति (market authorization) देता है। साथ ही, क्लिनिकल परीक्षण संबंधी मानकों का विनियमन भी करता है।
- इसके अतिरिक्त, यह दवाओं के आयात का निरीक्षण करता है और विनिर्माण के लिए लाइसेंस को मंजूरी देता है ।
- CDSCO राज्य दवा विनियामकों के साथ मिलकर रक्त, टीके जैसी महत्वपूर्ण दवाओं की कुछ विशेष श्रेणियों के लिए लाइसेंस भी प्रदान करता है।
- CDSCO का अध्यक्ष भारत का औषधि महानियंत्रक (DCGI) होता है।
- दवाओं की गुणवत्ता के संबंध में कोई विवाद उत्पन्न होने पर DCGI अपीलीय प्राधिकरण के रूप में भी कार्य करता है।
दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में चुनौतियां–
- एकीकृत और इंटरऑपरेबल लेबलिंग तथा पहचान मानकों का अभाव है।
- पर्याप्त संख्या में परीक्षण सुविधाओं, निरीक्षकों और मॉनिटर्स की कमी है।
- दवा कंपनियां नई दवाओं के लिए CDSCO से मंजूरी प्राप्त करने में असफल रहने पर राज्य स्तर पर पंजीकरण कराने में सफल हो जाती हैं ।
- किसी दवा ब्रांड द्वारा नियमों के उल्लंघन, उसकी निरीक्षण रिपोर्ट और उसके पिछले रिकॉर्ड पर किसी सार्वजनिक डेटाबेस का अभाव है ।
स्रोत – द हिन्दू