कृषि पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) समिति की बैठक संपन्न
हाल ही में भारत ने कृषि पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) समिति की बैठक में फूड स्टॉक होल्डिंग के स्थायी समाधान की मांग की है।
- कृषि पर WTO समिति की बैठक में भारत ने खाद्य सुरक्षा पर स्थायी समाधान या सार्वजनिक स्टॉक होल्डिंग और MSP की सीमा पर बिंदुवार चर्चा की मांग की है।
- भारत ने WTO को सूचित किया है कि 2019-20 में उसके चावल उत्पादन का मूल्य 46.07 बिलियन डॉलर था, जबकि उसने अनुमत 10 प्रतिशत के विपरीत 6.31 बिलियन डॉलर या लगभग 13.7 प्रतिशत की सब्सिडी दी थी।
- इस पर अमेरिका, ब्रिटेन, जापान जैसे देशों और यूरोपीय संघ ने बाली अंतरिम निर्णय को रद्द करने का प्रयास किया है। भारत बाली ‘शांति खंड’ (Peace Clause ) का उपयोग करने वाला पहला देश था ।
- इसके तहत किसी भी देश को कानूनी रूप से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के संचालन से प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा, भले ही सब्सिडी WTO के कृषि पर समझौते (AoA) में निर्दिष्ट सीमा का उल्लंघन करती हो। यह सीमा उत्पादन के मूल्य के 10 प्रतिशत के बराबर है।
- निर्धारित सीमा से अधिक की सब्सिडी को व्यापार-विकृति के रूप में देखा जाता है।
AoA के 3 स्तंभ –
- बाजार पहुँच शर्तों के तहत विकसित और विकासशील, दोनों तरह के देशों को सभी गैर-प्रशुल्क बाधाओं को प्रशुल्क बाधाओं में बदलना था ।
- घरेलू समर्थन में सब्सिडी को अलग-अलग रंग के ‘बॉक्स’ में वर्गीकृत किया गया है। यह वर्गीकरण उत्पादन और व्यापार पर सब्सिडी के प्रभावों पर आधारित है ।
- निर्यात सब्सिडी और अन्य विधियाँ निर्यात को कृत्रिम रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
- शांति खंड (2013) के तहत एक अस्थायी समाधान के रूप में WTO के सदस्यों ने WTO के विवाद समाधान मंच पर यह सहमति व्यक्त की थी कि यदि कोई विकासशील देश निर्धारित उच्चतम सब्सिडी सीमा का उल्लंघन करता है, तो सदस्य देश उस पर आपत्ति नहीं करेंगे ।
- ग्रीन बॉक्स : ऐसी सब्सिडी जो व्यापार को विकृत नहीं करती है, या न्यूनतम विकृति पैदा करती है। इस सब्सिडी की कोई सीमा नहीं है।
- एम्बर बॉक्स: यह सब्सिडी की व्यापक रेंज है। यह कृषि उत्पादन के 5% ( विकासशील देशों के लिए 10%) तक सीमित है।
- ब्लू बॉक्स: सब्सिडी की व्यापक रेंज की अनुमति है, लेकिन इसे इस तरह डिज़ाइन किया जाना चाहिए कि वह कम व्यापार विकृति पैदा करे। सब्सिडी की कोई सीमा नहीं है।
स्रोत – द हिन्दू