वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल्स (कोशिकाएं ) का उपयोग करके कृत्रिम भ्रूण विकसित किए
हाल ही में ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एवं मानव प्रजनन के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है।
- इन वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल्स का उपयोग करके विश्व के पहले कृत्रिम मानव भ्रूण जैसी संरचनाओं का विकास किया है। ये भ्रूण मानव विकास के प्रारंभिक चरणों के प्राकृतिक भ्रूणों के समान प्रतीत होते हैं।
- हालांकि, इन कृत्रिम मानव भ्रूण जैसी संरचनाओं में धड़कते ह्रदय या मस्तिष्क के विकास का अभाव है, परन्तु इनमें ऐसी कोशिकाएं जरूर हैं जो गर्भनाल (placenta), अण्डपीतकोश (Yolk sac ) और भ्रूण ( embryo) का रूप ले सकती हैं।
नई उपलब्धि का महत्त्व:
- इससे आनुवंशिक विकारों के प्रभावों को समझने तथा बार-बार होने वाले गर्भपात के जैविक कारणों को जानने में मदद मिलेगी।
- कथित तौर पर, मानव भ्रूण के निर्माण के लिए अंडाणुओं या शुक्राणुओं की आवश्यकता नहीं होगी।
स्टेम सेल्स के बारे में:
- ये आधार कोशिकाएं हैं, जिनमें शरीर की विशेष प्रकार की कोशिकाओं के रूप में विकसित होने की अद्वितीय क्षमता होती है।
- स्टेम सेल्स शरीर के विकास के साथ नई कोशिकाएं प्रदान करती रहती हैं। साथ ही, ये क्षतिग्रस्त या नष्ट हो चुकी विशेष कोशिकाओं की जगह लेती जाती हैं।
स्टेम सेल्स के प्रकार:
- भ्रूणीय स्टेम सेल्स :ये कोशिकाएं भ्रूण के ब्लास्टोसिस्ट चरण के दौरान बनती हैं। ये प्लुरिपोटेंट हैं, लेकिन गर्भनाल जैसी अतिरिक्त-भ्रूणीय कोशिकाओं के विकास में योगदान नहीं करती हैं ।
- वयस्क स्टेम सेल्स: ये कोशिकाएं विशिष्ट ऊतकों में पाई जाती हैं । ये केवल इन्हीं ऊतकों की कोशिकाओं की मरम्मत और निर्माण करती हैं।
- इंड्यूस्ड प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल्स (iPS): इनका निर्माण भ्रूणीय स्टेम सेल्स के साथ वयस्क स्टेम सेल्स के सम्मिश्रण से होता है। ये चिकित्सीय उपचार में मदद करती हैं।
स्रोत – सी.एन.एन.