कूनो नेशनल पार्क (KNP) के जंगल में पांच और चीतों को छोड़ा जाएगा
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के निर्देश पर विशेषज्ञों की एक टीम ने प्रोजेक्ट चीता की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की है।
इस टीम ने निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:
- तीन मादा और दो नर चीतों को अनुकूलन शिविरों से मध्य प्रदेश के KNP में खुले क्षेत्र में छोड़ दिया जाना चाहिए ।
- भविष्य में KNP या आसपास के क्षेत्रों के अंतर्गत गांधी सागर तथा अन्य क्षेत्रों में चीतों को चीता संरक्षण कार्य योजना के अनुसार योजनाबद्ध तरीके से छोड़ा जाना चाहिए ।
- प्रोजेक्ट चीता भारत में अफ्रीकी चीतों को फिर से बसाने के लिए शुरू की गई एक योजना है। यह किसी बड़े जंगली मांसाहारी जीव के अंतरमहाद्वीपीय पुनर्वास की पहली परियोजना है ।
- NTCA, परियोजना के वित्त पोषण और पर्यवेक्षण के लिए अधिकृत नोडल एजेंसी है।
चीता पुनर्वास का महत्त्व –
- चीता घास के मैदान की एक फ्लैगशिप प्रजाति है । इसका संरक्षण शिकार खाद्य श्रृंखला में घास के मैदान की अन्य प्रजातियों को संरक्षित करने में भी मदद करता है ।
- यह भारत में खुले वन और घास के मैदान पारिस्थितिकी – तंत्र को पुनर्बहाल कर सकता है ।
- यह जैव विविधता संरक्षण में योगदान देगा। साथ ही जल संरक्षण, कार्बन प्रच्छादन (sequestration) और मृदा की नमी का संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी – तंत्र सेवाओं में वृद्धि करेगा ।
- कार्बन प्रच्छादन – इसके तहत कार्बन को वातावरण से हटा कर उसे ठोस अथवा द्रव रूप में संग्रहित किया जाता है ।
- पारिस्थितिकी-विकास (इको – डेवलपमेंट) और पारिस्थितिकी – पर्यटन (इको-टूरिज्म ) गतिविधियों के माध्यम से स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर
एशियाई चीता के बारे में
- IUCN: क्रिटिकली इंडेजर्ड
- CITES स्थिति: परिशिष्ट1
- प्राप्ति : केवल ईरान में इनकी कुछ संख्या बची है।
- ये अफ्रीकी चीतों की तुलना आकार में छोटे और पतले होते है । इनकी गर्दन काफी छोटी व पतली होती है तथा टांगे भी पतली होती हैं।
अफ्रीकी चीता के बारे में
- IUCN: वल्नरेबल
- CITES स्थिति: परिशिष्ट-1
- प्राप्ति: अफ्रीकी महाद्वीप (उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका)
- ये एशियाई चीते की तुलना में आकार में बड़े होते है । इनका शरीर अपेक्षाकृत बड़ा तथा टांगे और गर्दन मजबूत होते हैं ।
स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस