कुदुम्बश्री के 25 साल पूरे

कुदुम्बश्रीके 25 साल पूरे

हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा देश के सबसे बड़े स्वयं सहायता समूह नेटवर्क ‘कुदुम्बश्री’ के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन किया गया।

कुदुम्बश्री केरल सरकार के राज्य गरीबी उन्मूलन मिशन (एसपीईएम) द्वारा कार्यान्वित गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम है।

मलयालम में कुदुम्बश्री का अर्थ ‘परिवार की समृद्धि’ है। कुदुम्बश्री की स्थापना 1998 में केरल सरकार द्वारा की गई थी।

वर्ष 2011 में, भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत कुदुम्बश्री को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) के रूप में मान्यता दी।

कार्य:

  • कुदुम्बश्री बिल्कुल निचले स्तर पर काम करती है और महिलाओं को पहले पड़ोस के समूहों (एनएचजी) में संगठित करती है, जिसके बाद बड़े समुदाय-स्तर और फिर वार्ड-स्तरीय संगठन बनाते हैं।
  • यह एक त्रि-स्तरीय संरचना है, जिसमें सबसे निचले स्तर पर नेबरहुड ग्रुप्स (NHGs), मध्य स्तर पर एरिया डेवलपमेंट सोसाइटीज़ (ADS) और स्थानीय स्तर पर कम्युनिटी डेवलपमेंट सोसाइटीज़ (CDS) हैं।

महत्व:

  • कुदुम्बश्री ने केरल में महिलाओं को आगे लाने में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • ये सूक्ष्म वित्त से लेकर सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने तक महिलाओं की मदद करती हैं।
  • नीति आयोग द्वारा बहुआयामी गरीबी सूचकांक जैसे अध्ययन और सर्वेक्षणों ने भी गरीबी कम करने में कुदुम्बश्री की उपलब्धियों की सराहना की है।
  • इसके द्वारा राज्य भर में “जनकीय होटल” की स्थापना की गई है, जिसके अंतर्गत केवल 20 रुपये में भोजन प्रदान करने वाले 125 रेस्तरां संचालित किये जा रहे हैं।
  • इस मिशन ने महिला सदस्यों को जैविक खेती, पर्यटन, कृषि-व्यवसाय, कुक्कुट पालन, खाद्य प्रसंस्करण और कई सूक्ष्म उद्यमों में प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया है।
  • राज्य मिशन के पास कुदुम्बश्री उत्पादों के विपणन के लिए एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है।

चुनौतियां

  • सत्ता के लिए संघर्ष: लोगों को संगठित करने और धन प्राप्त करने में कुदुम्बश्री इकाइयां शक्तिशाली हो गई हैं। इसके कारण समूहों में शामिल महिलाओं की राजनीतिक आकांक्षाएं भी बढ़ रही हैं।
  • राजनीतिकरण – ‘जनश्री’ का उदय: कई बार यह आरोप लगाया जाता है कि सदस्यों को राजनीतिक दलों के लिए काम करने के लिए मजबूर किया जाता है राजनीतिक दलों की बैठकों और रैलियों में भाग लेने का निर्देश दिया जाता है।
  • विलंबित सेवायें: स्थानीय सरकारों द्वारा जानबूझकर कुदुम्बश्री को धन जारी करने में देरी की जाती है या फिर कार्यक्रमों को पास ही नहीं किया जाता है।
  • अस्थिर सूक्ष्म उद्यम: लगभग 80 प्रतिशत एसएचजी सदस्य जो सूक्ष्म उद्यम चला रहे हैं, उनमें उद्यमशीलता कौशल की कमी है। साथ ही 60 प्रतिशत से अधिक उद्यमों को अस्थिर पाया गया है परन्तु सरकार से सब्सिडी और अन्य सुविधाओं के लाभ के लिए काम करना जारी रखा है।
  • सूक्ष्म ऋण: निगरानी का अभाव: जिस उद्देश्य के लिए ऋण लिया गया है यह देखने के लिए कोई उचित अनुवर्ती या निगरानी तंत्र नहीं है।

स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस 

Download Our App

More Current Affairs

Share with Your Friends

Join Our Whatsapp Group For Daily, Weekly, Monthly Current Affairs Compilations

Related Articles

Youth Destination Facilities

Enroll Now For UPSC Course