कार्बन बाज़ार और उनका संचालन
हाल ही में, संसद ने ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया है। इस विधेयक से सरकार को देश में कार्बन बाजार स्थापित करने तथा कार्बन क्रेडिट व्यापार योजना को निर्धारित करने का अधिकार प्राप्त होगा।
कार्बन बाजार क्या है
- कार्बन बाज़ार (Carbon Market) के अंतर्गत विश्व के विभिन्न देश या कंपनियाँ उनके द्वारा ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी के चलते प्राप्त किये गए एक प्रमाण-पत्र, जिसे सर्टिफाइड उत्सर्जन कटौती (Certified Emission Reduction-CER) या कार्बन क्रेडिट (Carbon Credit) कहा जाता है, का क्रय-विक्रय करती हैं।
- जिन कंपनियों ने ग्रीनहाउस गैसों में कटौती के माध्यम से कार्बन ऑफसेट के लक्ष्यों की प्राप्ति की है उनके द्वारा अतिरिक्त कटौती करने पर उन्हें कार्बन क्रेडिट प्राप्त होगा।
- कार्बन क्रेडिट में एक यूनिट एक टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) या कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य (CO2e) के बराबर होगा।
- व्यापार योग्य एक कार्बन क्रेडिट एक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर होता है। यह किसी अन्य ग्रीनहाउस गैस के बराबर की मात्रा भी हो सकती है, जिसे कम उत्सर्जित किया गया होता है, संचित किया गया होता है या उत्सर्जन को टाला गया होता है ।
- पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 में राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कार्बन बाजारों का प्रावधान किया गया है।
कार्बन बाजार दो प्रकार के होते हैं:
- स्वैच्छिक बाजार : इसके तहत कार्बन क्रेडिट को वेरिफाइड एमिशन रिडक्शन (VER) कहा जाता है ।
- एक कार्पोरेशन जो अपने ग्रीन हाउस गैस (GHG) उत्सर्जन को कम नहीं कर सकता, वह उत्सर्जन की भरपाई करने के लिए उन संस्थाओं से कार्बन क्रेडिट खरीदता है, जो उत्सर्जन को कम करने, हटाने, जब्ती या समाप्त करने की परियोजनाओं में लगी हुई हैं।
- अनुपालन बाजार : ऐसे बाजारों को सरकारी स्तर पर नीतियां बनाकर स्थापित किया जाता है। ये बाज़ार ज्यादातर ‘कैप-एंड-ट्रेड’ सिस्टम के सिद्धांत के तहत कार्य करते हैं
स्रोत – द हिन्दू