विद्युत मंत्रालय ने कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (CCTS) को अधिसूचित किया
हाल ही में कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम, 2023 योजना में एक कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग बाजार स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।
भारत का लक्ष्य अर्थव्यवस्था का विकार्बनीकरण करना है। साथ ही, भारत 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत तक की कटौती करने के लिए भी प्रतिबद्ध है ।
CCTS की घोषणा पहली बार ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत की गई थी। इसे ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 द्वारा संशोधित किया गया था।
CCTS के मुख्य बिंदु
- एक राष्ट्रीय संचालन समिति (NSC) अर्थात इंडियन कार्बन मार्केट गवर्निंग बोर्ड (ICMGB) का गठन किया जाएगा।
- विद्युत और पर्यावरण मंत्रालय के सचिव इसके अध्यक्ष होंगे। यह समिति भारतीय कार्बन बाजार (ICM) के कार्यों को शासित करेगी और उनकी देख-रेख का काम करेगी ।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) कार्बन बाजार का प्रशासक होगा। साथ ही, वह निम्नलिखित कार्य भी करेगा-
- उत्सर्जन में कमी करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करेगा,
- कार्बन क्रेडिट प्रमाण-पत्र जारी करेगा, तथा कार्बन सत्यापन एजेंसियों को मान्यता प्रदान करेगा ।
- केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (CERC ) सभी व्यापारिक गतिविधियों के लिए विनियामकीय कार्य करेगा।
- ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया ICM के लिए रजिस्ट्री के रूप में कार्य करेगा।
कार्बन बाज़ार, कार्बन उत्सर्जन की कीमत तय करने वाला एक साधन होता है। कार्बन बाजार ऐसी व्यापारिक प्रणालियां स्थापित करता है, जहां कार्बन क्रेडिट्स या भत्ते (allowances) खरीदे और बेचे जाते हैं।
एक कार्बन क्रेडिट एक प्रकार का व्यापार योग्य परमिट है । यह वायुमंडल से हटाए गए, कम किए गए या अलग करके संचित किए गए एक टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर होता है।
स्रोत – द हिन्दू