भारत – म्यांमार कलादान परियोजना को हरी झंडी

भारत – म्यांमार कलादान परियोजना को हरी झंडी

हाल ही में कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह से म्यांमार के सितवे बंदरगाह के लिए एक जहाज को रवाना किया गया। इससे सितवे बंदरगाह का आधिकारिक तौर पर संचालन शुरू हो गया है।

यह शिपमेंट कलादान मल्टी-मॉडल पारगमन परिवहन परियोजना (KMTTP) का हिस्सा है। इसका प्राथमिक उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र और भारत की मुख्य भूमि को जोड़ने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग का निर्माण करना है ।

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (WAI), कलादान मल्टी-मॉडल पारगमन परिवहन परियोजना (KMTTP)  के लिए परियोजना विकास सलाहकार है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) को मुख्य भूमि से जोड़ने के लाभ

  • यह परियोजना पूर्वोत्तर क्षेत्र तक सुगम पहुंच प्रदान कर देश की सामरिक जरूरतों को पूरा करती है, क्योंकि वर्तमान में सिलीगुड़ी चिकन नेक कॉरिडोर ही इस क्षेत्र को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ने वाला एकमात्र व्यवहार्य मार्ग है।
  • इस क्षेत्र का औद्योगिक विकास होगा तथा पर्यटन की क्षमता का दोहन किया जा सकेगा। इससे इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करने और रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी ।
  • दक्षिण – पूर्वी एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापार को और बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के माध्यम से क्षेत्रीय एकीकरण को भी बल मिलेगा ।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार के लिए शुरू की गई अन्य पहलें

  • भारत और बांग्लादेश ने अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग (IMT): यह राजमार्ग भारत के मोरेह को म्यांमार से होते हुए थाईलैंड के मॅई सोट से जोड़ता है।
  • इंडिया – जापान एक्ट ईस्ट फोरम (AEF) का लक्ष्य NER के भीतर तथा NER और दक्षिण – पूर्वी एशिया के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है ।
  • बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल मोटर वाहन समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं ।

कलादान परियोजना के बारे में:

  • कलादान परियोजना म्यांमार में सितवे बंदरगाह को भारत-म्यांमार सीमा से जोड़ती है ।
  • यह परियोजना भारत और म्यांमार द्वारा संयुक्त रूप से म्यांमार के माध्यम से पूर्वी बंदरगाहों से म्यांमार और देश के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में कार्गो शिपमेंट के लिए एक बहु-मॉडल मंच बनाने के लिए शुरू की गई थी ।
  • महत्व: इससे पूर्वोत्तर राज्यों में समुद्री मार्ग खोलने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की उम्मीद है, और भारत और म्यांमार के बीच आर्थिक, वाणिज्यिक और रणनीतिक संबंधों में भी मूल्य वृद्धि होगी।
  • यह परियोजना कोलकाता से सितवे की दूरी लगभग 1328 किमी कम कर देगी और सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है, के माध्यम से अच्छी परिवहन की आवश्यकता को कम करेगी ।

स्रोत – पी.आई.बी.

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