यह कुछ राज्यों के अनुरोध पर किया गया है, जो पूंजीगत व्ययकी पूर्ती में सहायता के लिए कर हस्तांतरण राशि के हिस्से में वृद्धि चाहते हैं।
वित्त आयोग के फार्मूले के अनुसार राज्य केंद्रीय करों के 41% के हकदार हैं। इसे एक वित्तीय वर्ष में 14 किस्तों में दिया जाता है।
लगभग 20 राज्यों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के शुरुआती नौ महीनों के दौरान लगभग 80% उच्चतर पूंजीगत व्यय किया है।
पूंजीगत व्यय के लिए केंद्र द्वारा दिए गए अन्य सुझाव
- जिन राज्यों को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन से बाहर रखा गया है, उनमें संभावित रूप से मद्रीकरण योग्य परिसंपत्ति का उपयोग बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए उपलब्ध पूंजी को बढ़ाने हेतु किया जा सकता है।
- राज्य, आसानी से निवेश आकर्षित करने और व्यवसाय करने में सुगमता संबंधी उपायों में तेजी लाने के अतिरिक्त विद्युत क्षेत्र में भी सुधार करें।
- भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाओं को सुगम बनाना और निवेश के दौरान लाभ उठाने हेतु भूमि बैंक का निर्माण करना चाहिए, क्योंकि भूमि की उपलब्धता, परियोजना विकास के सम्मुख प्रमुख बाधाओं में से एक है।
- व्यवहार्यता अंतराल वित्तपोषण (Viability Gap Funding: VGF) का प्रावधान सामाजिक रूप सेप्रासंगिक, किंतु आर्थिक रूप से अव्यवहार्य परियोजनाओं केवित्तपोषण में मदद करेगा।
- ध्यातव्य है कि इससे पहले, वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में 35.54 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत परिव्यय आवंटित किया गया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 34.5% अधिक है।
स्रोत – द हिन्दू