कर्नाटक के भूजल में उच्च स्तर का यूरेनियम संदूषण पाया गया
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी कर्नाटक के भूजल में उच्च स्तर का यूरेनियम संदूषण पाया गया है ।
कर्नाटक के 73 गांवों में भूजल के रासायनिक विश्लेषण में कम से कम 57 गांवों में यूरेनियम सांद्रता का उच्च स्तर पाया गया है।
भूजल में यूरेनियम संदूषण के प्रमुख कारण
- राज्य के धारवाड़ क्षेत्र में नीस (एक प्रकार की शैल) और ग्रेनाइट (शैल की श्रेणी) में यूरेनियम की उपस्थिति पायी गई है।
- राज्य में लाल दोमट मृदा व्याप्त है। कुछ स्थानों पर लैटेराइट मृदा भी पाई जाती है, जो अपक्षय के दौरान उच्च स्तर के ऑक्सीकरण का संकेत देती है। इसके परिणामस्वरूप, यूरेनस का यूरेनिल आयन (जल में घुलनशील) में ऑक्सीकरण होता है।
- घटते जल स्तर के कारण ऑक्सीकरण से अपक्षय भी आसान हो जाता है। इससे परिसंचारी जल मेंअधिक यूरेनियम समाविष्ट हो जाता है।
- देश के 16 राज्यों के जलमृतों ने भूजल में यूरेनियम संदूषण के संकेत प्रकट किए हैं।
- यूरेनियम अपनी रासायनिक विषाक्तता के कारण चिंता उत्पन्न करता है।
- इसके लगातार सेवन से, यह आंतरिक अंगों को क्षति पहुंचाता है और ल्यूकेमिया तथा पेट एवं मूत्रपथ के कैंसर के साथ-साथ गुर्दे की विषाक्तता का कारण भी बन सकता है।
यूरेनियम सांद्रता के लिए पेयजल मानक:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO): 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर (ug/।)
- परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड: 60 माइक्रोग्राम प्रति लीटर।
- हालांकि, भारतीय मानक ब्यूरो ने अभी तक पेयजल में यूरेनियम स्तर के लिए मानदंड निर्दिष्ट नहीं किया है।
स्रोत – द हिन्दू