कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2021
हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा पूर्वव्यापी कर विधि को निरस्त करने के लिए संसद में विधेयक प्रस्तुत किया गया है।
कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2021, वित्त अधिनियम, 2012 द्वारा प्रस्तुत किए गए पूर्वव्यापी कराधान उपायों में संशोधन का प्रस्ताव करता है।
- वर्ष 2012 में हुए संशोधन का मुख्य उद्देश्य विदेश में निगमित उन कंपनियों पर कर आरोपित करना था, जो भारत में व्यवसाय तो करती थी, परन्तु स्वामित्व में परिवर्तन होने के बावजूद पूंजीगत लाभ कर का भुगतान नहीं करती थीं। इस अधिनियम को भूतलक्षी प्रभाव से लागू किया गया था।
- हालांकि, इसके कारण सरकार को केयर्न एनर्जी और वोडाफोन समूह के विरुद्ध मध्यस्थता न्यायालय में पराजय का सामना करना पड़ा है।
कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 की विशेषताएं
- 28 मई, 2012 से पूर्व के किसी भी लेनदेन से संबंधित मामले में भारतीय आस्तियों के किसी भी अप्रत्यक्ष अंतरण के लिए उक्त पूर्वव्यापी संशोधन के आधार पर भविष्य में किसी भी कर की मांग नहीं की जाएगी।
- 28 मई, 2012 से पूर्व भारतीय आस्तियों के अप्रत्यक्ष अंतरण के लिए की गई मांग को विनिर्दिष्ट शर्तों के अनुपालन उपरांत निरस्त कर दिया जायेगा।
- विधेयक में इन मामलों में उन पर किसी ब्याज के बिना संदत्त राशि का प्रतिदाय करने का भी प्रस्ताव किया गया है।
- हालांकि, 28 मई 2012 के उपरांत निष्पादित भारतीय आस्तियों से संबद्ध अपतटीय लेनदेन अभी भी कर योग्य हैं, क्योंकि इनके लिए कानून के पूर्वव्यापी अनुप्रयोग का कोई प्रावधान नहीं है।
- पूर्वव्यापी कराधान (Retrospective taxation) एक देश को कुछ उत्पादों, वस्तुओं या सेवाओं, सौदों और कंपनियों पर विधि पारित होने की तिथि के पूर्व से कर व शुल्क आरोपित करने के लिए नियम बनाने की अनुमति प्रदान करता है।
स्रोत – द हिन्दू