भारत विश्व में कच्चे इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया
वित्त वर्ष 2022 में भारत ने 133.596 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात का उत्पादन किया था। इसी के साथ वर्तमान में भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा इस्पात उत्पादक देश बन गया है।
वर्ष 2018 में भारत ने कच्चे इस्पात के उत्पादन के मामले में जापान को पीछे छोड़ दिया था । चीन अभी भी कच्चे इस्पात के उत्पादन में वैश्विक रूप से अग्रणी है।
इस्पात के बारे में:
- इस्पात लोहे और कार्बन की एक मिश्र धातु है । इसमें 2% से कम कार्बन, 1% मैंगनीज और अल्प मात्रा में सिलिकॉन, फास्फोरस, सल्फर व ऑक्सीजन होता है।
- लौह अयस्क से ऑक्सीजन और अन्य अशुद्धियों को पृथक करके लोहा प्राप्त किया जाता है ।
- इस्पात विश्व की सबसे महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग और निर्माण सामग्री है।
- इसका उपयोग हमारे जीवन के लगभग प्रत्येक पहलू में किया जाता है। इसमें कार, भवन-निर्माण सामग्री, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, मालवाहक जहाज, सर्जिकल उपकरण आदि शामिल हैं।
इस्पात उद्योग के लिए शुरू की गई पहलें:
- लौह स्क्रैप के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने के लिए स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति को लागू किया गया है ।
- राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017 में 2030-31 तक कच्चे इस्पात की कुल क्षमता 300 MTPA और कच्चे इस्पात की कुल मांग/उत्पादन क्षमता 255 MTPA हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ।
- घरेलू स्तर पर निर्मित लौह और इस्पात उत्पादों को वरीयता देने के लिए नीति (DMI&SP नीति) बनाई गई है।
- वर्ष 2021 में विशेष इस्पात के उत्पादन के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी गई थी।
लौह अयस्क के मुख्य प्रकार हैं- हेमेटाइट,मैग्नेटाइट, लिमोनाइट और सिडेराइट (FeCO3)।
- प्रमुख सक्रिय खदान: बैलाडीला नुआगांव, गंधमर्दन, जोड़ा, बलदा, नारायण पोशी, दैतारी और बरसुआ खदान ।
- वर्ष 2021 में, भारत ने 4.3 बिलियन डॉलर के लौह अयस्क का निर्यात किया था। इसके कारण यह लौह अयस्क का 7वां सबसे बड़ा निर्यातक देश बन गया था। साथ ही, भारत ने 177 मिलियन डॉलर के लौह अयस्क का आयात भी किया था। इससे यह लौह अयस्क का विश्व में 41वां सबसे बड़ा आयातक बन गया था।
- भारत के कुल लौह अयस्क निर्यात का 92% निम्न श्रेणी के अयस्कों का था ।
स्रोत – पी.आई.बी.