महासागरीय तापन पर वार्षिक अध्ययन “ओशन हीट कंटेंट”
एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2021 में महासागरीय तापन के रिकॉर्ड स्तर पर होने के कारण तटीय समुदायों को सतर्क रहना चाहिए ।
हाल ही में, महासागरीय तापन पर किए गए वार्षिक अध्ययन “ओशन हीट कंटेंट के अनुसारः
1980 के दशक के अंतिम वर्षों से महासागरों के तापमान में स्पष्ट वृद्धि देखी जा रही है। वर्ष 1958-85 की तुलना में वर्ष 1986-2021 में तापन दरों में आठ गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। महासागरों से ऊपर लगभग 2,000 मीटर की ऊंचाई पर वर्ष 2021 में 235 जेटा जूल ऊष्मा अवशोषित हुई है। यह वर्ष 1981-2010 के औसत से अधिक है।
महासागरीय तापन के बारे में:
- महासागरों में अधिकतर तापन ग्रीन हाउस गैस के अवशोषण के कारण होता है। इससे समुद्र के तापमान में वृद्धि होती है।
- वायु के तापमान की तुलना में महासागरीय तापन जलवायु संकट का एक बेहतर संकेतक है। इसका कारण यह है कि अल-नीनो और ला- नीना जैसे प्राकृतिक चक्र समुद्र के गर्म होने में अपेक्षाकृत सीमित भूमिका निभाते हैं।
- अल नीनो के दौरान महासागर ऊष्मा पैदा करते हैं। इससे वैश्विक तापन में वृद्धि होती है। ला-नीना के दौरान महासागर ऊष्मा ग्रहण करते हैं।
- यह ऊष्मा सतह से समुद्र की गहराई में जमा हो जाती है।
महासागरीय तापन के प्रभाव
- बर्फ के बहुत तेजी से पिघलने और जल का तापमान बढ़ने से समुद्र के स्तर में वृद्धि होगी।
- अधिक विनाशकारी तूफान और चक्रवात आएंगे। वर्षा भी बढ़ेगी और बाढ़ का खतरा भी बना रहेगा।
- समुद्र का जल अलग-अलग जल घनत्व के हिसाब से स्तरों में बंट जायेगा।
- समुद्र में रहने वाले जीव बहुत प्रभावित होंगे, क्योंकि इससे गहराई में बहुत कम ऑक्सीजन पहुंचेगी।
महासागरीय तापन को कम करने के लिए क्या किया जा सकता है?
- समुद्र के बढ़ते तापमान को जलवायु जोखिम के आकलन, उसके प्रति अनुकूलन और उसके समापन की प्रक्रियाओं में शामिल किया जाना चाहिए। जितना जल्दी हो सके शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन की स्थिति प्राप्त करनी चाहिए।
- पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित शमन लक्ष्यों को प्राप्त करने की आवश्यकता है। समुद्री संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना करनी चाहिए और अनुकूली उपाय करने चाहिए।
स्रोत –द हिन्दू