समुद्री तरंगों से बिजली उत्पन्न करने हेतु ‘ओशन वेव एनर्जी कन्वर्टर‘ विकसित
- हाल ही में IIT – मद्रास ने समुद्री तरंगों से बिजली उत्पन्न करने के लिए ‘ओशन वेव एनर्जी कन्वर्टर’ का विकास किया है।
- इस ओशन वेव एनर्जी कन्वर्टर को सिंधुजा नाम दिया गया है। इस कन्वर्टर में तैरती हुई एक बोये (buoy), एक स्पर (spar) और एक इलेक्ट्रिकल मॉड्यूल शामिल हैं।
- बोये लहरों के साथ ऊपर-नीचे होती है। इसके केंद्र में एक छिद्र बना हुआ है तथा उसमें एक फिक्स्ड स्पर को लगाया गया है।
- जब यह बोये ऊपर-नीचे होती है, तो उसकी इस गति से ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस ऊर्जा का बिजली उत्पादन में उपयोग किया जाता है।
- इससे भारत को अपने द्वीपों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल सकती है। साथ ही, वर्ष 2030 तक 500 GW ( गीगावाट) नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन करने के जलवायु परिवर्तन से संबंधित लक्ष्य को भी प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है।
- समुद्री जल में ज्वारीय तरंग और महासागरीय तापीय ऊर्जा का भंडार है। इससे भारत में 40 GW तरंग ऊर्जा का उत्पादन संभव है।
- ज्वारीय ऊर्जा पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उत्पन्न होती है।
- तरंगीय ऊर्जा समुद्र की सतह पर बहने वाली पवन के कारण पैदा होती है ।
- महासागरीय तापीय ऊर्जा समुद्र की सतह के जल और गहरे समुद्र के जल के बीच तापमान के अंतर (तापीय प्रवणता) के कारण उत्पन्न होती है।
प्रमुख लाभः
- प्रदूषण नहीं होता है,यह नवीकरणीय ऊर्जा है,उपलब्ध ऊर्जा का घनत्व अधिक होता है,
- कुछ अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तुलना में इससे ऊर्जा उत्पादन का अनुमान लगाया जा सकता है। साथ ही, ऊर्जा उत्पादन में उतार-चढ़ाव की भी कम संभावना रहती है आदि ।
प्रमुख चुनौतियां:
- शुरुआत में लागत काफी अधिक आती है,
- इससे समुद्री जीवन और नौवहन के समक्ष खतरा पैदा हो सकता है,
- यह स्थान विशेष तक सीमित है और प्राकृतिक आपदाओं से ऊर्जा उपकरणों को क्षति पहुंचने का खतरा रहता है ।
स्रोत – द हिन्दू