ओशनसैट-3 लॉन्च
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO / इसरो) ने PSLV-C54 रॉकेट के माध्यम से भू-प्रेक्षण उपग्रह (Earth Observation Satellite: EOS) “ओशनसैट-3” और आठ अन्य नैनो उपग्रहों को सूर्य – तुल्यकालिक कक्षाओं (SSO) में सफलतापूर्वक स्थापित किया है।
- सूर्य – तुल्यकालिक या ध्रुवीय कक्षाओं में उपग्रह आमतौर पर पृथ्वी के ध्रुवों के ऊपर से गुजरते हैं। ये पृथ्वी की उत्तर से दक्षिण की ओर परिक्रमा करते हैं।
- ओशनसैट-3 ओशनसैट श्रृंखला में तीसरी पीढ़ी का उपग्रह है। इसे महासागरों के अध्ययन के लिए डिजाइन और विकसित किया गया है।
- यह मिशन क्रमशः वर्ष 1999 और वर्ष 2009 में लॉन्च किए गए ओशनसैट-1 तथा ओशनसैट-2 का अगला संस्करण है।
ओशनसैट-3 के साथ भेजे गए प्रमुख पेलोड्स में शामिल हैं:
- ओशन कलर मॉनिटर (OCM-3): इसकी मदद से पादप प्लवकों (phytoplankton) की दैनिक निगरानी बेहतर सटीकता से की जा सकेगी।
- सी सरफेस टेम्परेचर मॉनिटर (SST/M): इससे समुद्र में किसी स्थान विशेष पर मछलियों के एकत्रीकरण का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। साथ ही, इससे चक्रवात की उत्पत्ति और उसकी गति का भी पूर्वानुमान लगाने में मदद मिलेगी।
- Ku—बैंड स्कैटरोमीटर (SCAT – 3): यह अत्यधिक सटीकता के साथ समुद्र की सतह पर पवन की गति और दिशा की जानकारी प्रदान करेगा।
- EOS को पृथ्वी सुदूर संवेदन उपग्रह के रूप में भी जाना जाता है। ये उपग्रह कई उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष से पृथ्वी का पर्यवेक्षण करते हैं।
- ये उपग्रह पर्यावरण निगरानी, मानचित्रण, नेविगेशन, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, महासागरीय एवं वायुमंडलीय अध्ययन, आपदा न्यूनीकरण आदि जैसे क्षेत्रों में उपयोगी हैं
- सेना इन उपग्रहों का इस्तेमाल जासूसी और संचार के लिए भी करती है।
स्रोत – द हिन्दू