ऑर्फ़न दवाएं क्या हैं? भारत देश में ऐसी दवाओं के लिए नीतिगत ढांचा

प्रश्न – ऑर्फ़न दवाएं क्या हैं? भारत जैसे विकासशील देश में ऐसी दवाओं के लिए नीतिगत ढांचा स्थापित करने के महत्व का परीक्षण कीजिए। 20 December 2021

उत्तर ऑर्फ़न दवाएं औषधीय उत्पाद हैं जिनका उपयोग हीमोफिलिया, थैलेसीमिया, आदि जैसी दुर्लभ बीमारियों के निदान, रोकथाम या उपचार के लिए किया जाता है। इन दवाओं को “ऑर्फ़न” कहा जाता है क्योंकि दवा कंपनियां सामान्य बाजार के तहत कम रोगियों के कारण इन उत्पादों के विकास और विपणन में अधिक रुचि नहीं दिखाती हैं। नतीजतन, यह बहुत महंगा हो जाता है और इसकी बिक्री से अपेक्षित लाभ भी कम होता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ जैसे विकसित देशों में, ऐसे कानून उपस्थित हैं जो दवा उद्योग द्वारा सामान्यतः उपेक्षित रोगों के उपचार में अनुसंधान को प्रोत्साहित करते हैं। उनके द्वारा अपेक्षाकृत कम अवधि के नैदानिक परीक्षण, विस्तारित अनन्यता (extended exclusivity), करों में रियायत (tax breaks) और नियामक सफलता की उच्च दर जैसे प्रोत्साहन प्रदान किए जाते हैं। इससे यह वाणिज्यिक रूप से दवा कंपनियों के लिए अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश को आकर्षक बनाता है।

वहीं विकासशील देशों में अभी भी ऐसे प्रोत्साहन प्रदान नहीं किये जाते हैं। भारत में निजी बीमा कंपनियों द्वारा आनुवंशिक विकारों को पूर्व-मौजूदा स्थितियों के रूप में मान लिया जाता हैं और उन्हें कवरेज से बाहर रखा जाता हैं। इसलिए, अत्यधिक निर्धन जनसंख्या, दुर्लभ रोगों का अधिक बोझ, निम्न स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना और R&D में सीमित निवेश इत्यादि के कारण एक सुदृढ़ नीतिगत ढांचा तैयार किया जाना महत्वपूर्ण है।

इस संदर्भ में, उठाए गए कदम:

  • दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए राष्ट्रीय नीति का निर्माण, जिसमें ऑर्फ़न ड्रग्स की कीमतों को नियंत्रित करने संबंधी उपाय और दवा विकास जैसे प्रावधान शामिल हों। नई दवाओं के अनुमोदन के लिए स्थानीय नैदानिक परीक्षण की छूट, जिसे भारत के बाहर पहले से ही अनुमति प्रदान की गई है। फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल द्वारा नियमित रूप से सेमिनारों का आयोजन किया जाता है और यह भारत में ऑफ़न इंग्स से संबंधित अवसरों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देती है।
  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ऑर्फ़न ड्रग्स के लिए R&D परियोजनाओं को आमंत्रित कर रही है। AIIMS, CMC VELLORE इत्यादि अकादमिक संस्थानों द्वारा भी विभिन्न परियोजनाएं चलाई जा रही हैं।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 दुर्लभ/ऑर्फ़न रोगों के प्रबंधन की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।

भविष्य में उठाए जाने योग्य कदम:

  • R&D में सार्वजनिक-निजी भागीदारी और निगमित सामाजिक दायित्व (CSR) के रूप में दुर्लभ रोगों हेतु उपचार प्रायोजित करना।
  • ऑफ़न ड्रग्स की खोज के लिए प्रोत्साहन के रूप में कर सम्बन्धी रियायतें, वित्तपोषण और अनन्य विपणन अधिकारों की अनुमति प्रदान करने के लिए कानून लागू करना।
  • दुर्लभ रोगों को उचित प्रीमियम पर बीमा कवर के अंतर्गत शामिल करना।

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