प्रिंट, डिजिटल एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को ऑनलाइन बेटिंग वाले विज्ञापनों की अनुमति नहीं
हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने प्रिंट, डिजिटल एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को ऑनलाइन बेटिंग (दांव) को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों से दूर रहने को कहा है ।
मंत्रालय ने कहा है कि ऑनलाइन बेटिंग के विज्ञापन भ्रामक प्रकृति के हैं। इसके अतिरिक्त, ये निम्नलिखित कानूनों/निर्देशों के अनुरूप नहीं हैं:
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019,
- केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम, 1995 के तहत विज्ञापन संहिता,
- भारतीय प्रेस परिषद (PCI) द्वारा निर्धारित पत्रकारिता आचरण के मानदंडों के तहत विज्ञापन मानदंड।
भारत में ऑनलाइन गेमिंग के विनियमन के बारे में:
- दांव (बैटिंग) और जुए/द्यूत (गैंबलिंग) का उल्लेख संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची- II में किया गया है।
- इनके विनियमन का विशेष अधिकार राज्यों को प्रदान किया गया है।
- गोवा, सिक्किम और दमन को छोड़कर भारत के प्रत्येक राज्य ने स्पष्ट रूप से किसी भी प्रकार के जुए तथा बेटिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- हालांकि, ‘ऑनलाइन’ बेटिंग और जुए के विनियम ‘ग्रे जोन’ के अंतर्गत आते हैं।
- इसे काननी दर्जा प्रदान करने वाला पहला राज्य सिक्किम है। तेलंगाना इस पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला राज्य है।
- हाल ही में, केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने और इसकी निगरानी को एक मंत्रालय के अधीन लाने के लिए एक समिति का गठन किया है।
- वस्तु और सेवा कर (GST) परिषद ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28% GST लगाने को विचार योग्य माना है। वर्तमान में इन पर कोई कर नहीं लगता है। इसके परिणामस्वरूप सरकारी कोष को नुकसान होता है।
संबंधित जानकारी:
भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार द्वारा संचालित लॉटरी संविधान की 7वीं अनुसूची की संघ सूची के अंतर्गत आती है।
हालांकि, मार्च 2022 में उच्चतम ने निर्णय दिया कि, किसी राज्य विधायिका को अपने अधिकार क्षेत्र में अन्य राज्यों द्वारा संचालित लॉटरी पर कर लगाने का अधिकार है, क्योंकि लॉटरी “जुए” से संबंधित गतिविधि का ही हिस्सा है।
स्रोत –द हिन्दू