ऑक्सफैम की ‘टाइटनिंग द नेट’ रिपोर्ट
हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर एक रिपोर्ट जारी की गई जिसमें कहा गया कि, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए केवल नेट जीरो कार्बन लक्ष्य पर्याप्त नहीं हो सकते।
- ऑक्सफैम की ‘टाइटनिंग द नेट’ रिपोर्ट में वर्णित किया गया है कि यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका व चीन सहित कई देशों द्वारा घोषित ‘नेट जीरो’ कार्बन लक्ष्य, कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने की प्राथमिकता से विचलित करने वाला कारक प्रतीत होता है।
- ‘नेट जीरो’ उत्सर्जन को कार्बन तटस्थता के रूप में संदर्भित किया जाता है। इसे तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब एक निर्दिष्ट अवधि में वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के मानव जनित उत्सर्जन को मानव द्वारा ही निराकरण के माध्यम से संतुलित किया जाये।
- यदि अवशोषण और निराकरण वास्तविक उत्सर्जन से अधिक हो तो किसी देश के लिए नकारात्मक उत्सर्जन होना भी संभव है (उदहारण-भूटान)।
- कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के लिए कुछ रणनीतियाँ इस प्रकार हो सकती हैं, जैसे- विद्युत क्षेत्र (CO2 उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत) में नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग, कार्बन अभिग्रहण, उपयोग और भंडारण (CCUS) आदि ।
नेट जीरो लक्ष्यों से संबंधित चुनौतियाँ
- ये विभिन्न राष्ट्रों व निगमों को प्रदूषण जारी रखने की छूट प्रदान करते हैं।
- कई नेट जीरो लक्ष्य अस्पष्ट और अपर्याप्त रूप से परिभाषित हैं।
- ये लक्ष्य, या तो अप्रमाणित नई तकनीकों या भूमि उपयोग के स्तर (मुख्य रूप से वनीकरण) पर निर्भरकरते हैं, जो कि पूर्णतः असंभव है।
- नियोजित कार्बन निष्कासन के लिए आवश्यक कुल भूमिका आकार, संभवतः भारतीय भूभाग का पांच गुना हो सकता है।
स्रोत – द हिन्दू