ऐरिडिटी एनोमली (शुष्कता विसंगति) आउटलुक इंडेक्स
हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा ‘ऐरिडिटी एनोमली’ (शुष्कता विसंगति) आउटलुक इंडेक्स जारी किया गया है।
ऐरिडिटी एनोमली (शुष्कता विसंगति) आउटलुक इंडेक्स के अनुसार भारत में अब लगभग 85% जिले शुष्क परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं ।
इस सूचकांक के अनुसार, 756 में से केवल 63 जिले गैर-शुष्क थे। वहीं 660 जिले अलग-अलग स्तर की शुष्कता का सामना कर रहे हैं, जैसे- सामान्य, मध्यम और गंभीर शुष्कता।
यह सूचकांक कृषि से जुड़े सूखे की निगरानी करता है। इस सूचकांक के सामान्य मान में कोई विसंगति जिलों में जल की कमी का संकेत देती है। यह कमी सीधे कृषि गतिविधि को प्रभावित कर सकती है।
शुष्क भूमि ऐसी भूमि है, जहां पादपों से वाष्पीकरण या वाष्पोत्सर्जन के कारण हुई जल की हानि, वहां होने वाली वर्षा की मात्रा से अधिक होती है।
भारत में शुष्क क्षेत्रों में निम्नलिखित क्षेत्रों को शामिल किया जाता है:
- राजस्थान का मरुस्थल,कच्छ का रण,पंजाब और गुजरात के अर्ध-शुष्क क्षेत्र, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में पश्चिमी घाट के वृष्टि छाया प्रदेश।
- भारत का लगभग 69% भाग शुष्क भूमि है। शुष्क भूमि में शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।
शुष्क क्षेत्रों की मुख्य चुनौतियां:
इन क्षेत्रों में जल की कमी है, भूजल स्तर नीचे चला गया है, वर्षा कम होती है, जबकि जल का अपवाह तेज है तथा इन क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का जोखिम अधिक है आदि।
शुष्क भूमि को लचीला बनाने के उपायः
- फसल विविधीकरण पद्धति को अपनाना चाहिए,
- पारंपरिक फसल किस्मों की खेती करनी चाहिए,
- इंटर-क्रॉपिंग (अंतर सस्यन) अपनानी चाहिए,
- मल्चिंग तकनीक पर बल देना चाहिए
- सूक्ष्म सिचाई पर निर्भरता बढानी चाहिए
प्रमुख योजनाएं:
- सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (DPAP) शुरू किया गया है,
- राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (NRDWP) संचालित किया जा रहा है आदि।
राष्ट्रीय कृषि आयोग के अनुसार सूखे के 3 प्रकार हैं:
- मौसम संबंधी सूखाः यह तब होता है, जब किसी क्षेत्र में वास्तविक वर्षा उस क्षेत्र के जलवायवीय औसत से काफी कम होती है।
- जल विज्ञान चक्र संबंधी सूखाः सतही जल में अधिक कमी की वजह से नदियों की धाराएं कमजोर हो जाती हैं। इसके अलावा झील, नदी और जलाशय सूख जाते हैं।
- कृषि संबंधी सूखाः मृदा में नमी की कमी के कारण बेहतर फसल उत्पादन नहीं होता है और कृषि उत्पादकता में गिरावट आती है।
स्रोत –द हिन्दू