एशिया जलवायु की स्थिति रिपोर्ट 2021
- हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने एशिया में जलवायु की स्थिति 2021 रिपोर्ट जारी की है।
- यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग के सहयोग से तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में एशिया में चरम मौसम की घटनाओं के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों को रेखांकित किया गया है ।
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) के अनुसार चरम मौसम की घटनाएं उन परिघटनाओं को कहते हैं, जो किसी वर्ष में किसी विशेष स्थान और विशेष समय पर दुर्लभ रूप से घटित होती हैं ।
चरम मौसम की घटनाओं के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक:
- अल नीनो– दक्षिणी दोलन: यह एक जलवायु प्रणाली है। इसके तहत मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में जल के तापमान में बदलाव देखा जाता है।
3 – 7 वर्षों की अवधि में, उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतही जल सामान्य से 1°C से 3°C तक गर्म या ठंडा हो जाता है ।
- हिंद महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole): यह पश्चिमी हिंद महासागर और पूर्वी हिंद महासागर के बीच समुद्री सतह के तापमान में अंतर है । इसलिए, इसे द्विध्रुव कहा जाता है।
- आर्कटिक दोलन (Arctic Oscillation): यह आर्कटिक और उत्तरी प्रशांत व उत्तरी अटलांटिक के मध्य अक्षांशों के बीच वायुमंडलीय दबाव का स्थान परिवर्तन करते रहने की स्थिति है ।
यह पूरे उत्तरी गोलार्द्ध में मौसम को प्रभावित करता है।
- एशियाई मानसून: यह प्रचलित पवनों (Prevailing winds) की दिशा में मौसमी बदलाव है। यह दक्षिण और पूर्वी एशिया में मौसम परिवर्तन का प्रमुख चालक है।
- एशिया के ऊपर वायुमंडलीय धाराएं (Atmospheric Rivers ): ये प्रबल क्षैतिज जलवाष्प परिसंचरण के लंबे, संकीर्ण, उथले और अस्थायी गलियारे हैं।
ये आमतौर पर एक बहिरूष्ण कटिबंधीय चक्रवात (extrafropical cyclone) के शीत वाताग्र से पहले के वायुमंडल की निचली परतों की जेट स्ट्रीम से जुड़े होते हैं।
ये गलियारे मध्य-अक्षांश महासागरों के ऊपर सक्रिय होते हैं। ये जलवाष्पों को भूमध्य रेखा से ध्रुव की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
स्रोत – द हिन्दू