आंध्र प्रदेश में दो दिवसीय एशियाई जलीय पक्षी गणना (एशियन वाटरबर्ड्स सेन्सस:एडब्लूसी)- 2020 शुरू की गयी है। इसे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के विशेषज्ञों के तत्त्वावधान में संपन्न किया गया।
जलीय पक्षी गणना के विषय में महत्वपूर्ण तथ्य:
- एशियाई जलीय पक्षी गणना एक वार्षिक कार्यक्रम है, जिसके तहत एशिया और ऑस्ट्रेलिया में हज़ारों स्वयंसेवी अपने देश की आर्द्रभूमियों में जलपक्षियों / वाटरबर्ड्स की गणना करते हैं।
- प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में एशिया और ऑस्ट्रेलिया के हज़ारों स्वयंसेवकों द्वारा अपने देश में आर्द्रभूमियोंकी यात्रा की जाती है और इस दौरान वे वाटरबर्ड्स/जलपक्षियोंकी गिनती करते हैं। इस नागरिक विज्ञान कार्यक्रम को एशियाई जलीय पक्षी गणना कहा जाता है।
- इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1987 में की गयी थी।
- एशियाई जलीय पक्षी गणना ग्लोबल वॉटरबर्ड मॉनीटरिंग प्रोग्राम तथाइंटरनेशनल वॉटरबर्ड सेंसस (आईडब्लूसी) का एक अभिन्न अंग है, जो वेटलैंड्स इंटरनेशनलद्वारा समन्वित है।
- एशियाई जलीय पक्षी गणना का संचालन 143 देशों में किया जाता है।यह आर्द्रभूमि साइटों पर जलपक्षियों की संख्या के बारे में जानकारी एकत्र करने से संबंधित है।
- वेटलैंड्स इंटरनेशनल एक ग्लोबल नॉट-फॉर-प्रॉफिट ऑर्गेनाइज़ेशन है, जो आर्द्रभूमियों के संरक्षण और बहाली के लिये समर्पित है।
- भारत में, एशियाई जलीय पक्षी गणना, वार्षिक रूप से, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी और वेटलैंड्स इंटरनेशनल द्वारा आयोजित की जाती है।
‘जलपक्षी / वाटरबर्ड्स’ क्या हैं?
वेटलैंड्स इंटरनेशनल के अनुसार, वॉटरबर्डस / जल पक्षियों को पारिस्थितिक रूप से आर्द्रभूमियों पर निर्भर पक्षियों की प्रजातियों के रूप में परिभाषित किया गया है। इन पक्षियों को किसी क्षेत्र की आर्द्र भूमियों का एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संकेतक माना जाता है।
लाभ:
- गणना से न केवल पक्षियों की वास्तविक संख्या का पता चलता है, बल्कि आर्द्रभूमि की वास्तविक स्थिति का भी अंदाजा लगता है, अर्थात् जलपक्षियों की उच्च संख्या यह इंगित करती हैं कि आर्द्रभूमि क्षेत्र में भोजन की पर्याप्त मात्रा, पक्षियों के आराम करने, रोस्टिंग और फोर्जिंग स्पॉट विद्यमान हैं।
- एकत्र की गई जानकारी राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित क्षेत्रों, रामसर साइट्स, पूर्वी एशियाई – ऑस्ट्रेलियन फ्लाइवे नेटवर्क साइट्स, महत्वपूर्ण पक्षी और जैव विविधता क्षेत्रों जैसे अंतर्राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण स्थलों के निर्धारण और प्रबंधन को बढ़ावा देने में सहायक होती है।
- यह कन्वेंशन ऑन माइग्रेटरी स्पीसीज़ और कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी को लागू करने में भी मदद करता है।
स्रोत –द हिन्दू